जालंधर में बच्चों की तस्करी से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। ये खुलासा तब हुआ जब पुलिस और श्रम विभाग की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए कादियांवाल और फोलड़ीवाल इलाके के फार्म हाउसों में छापेमारी की और वहां उन्हें जो हालात दिखे उसे देख के टीम के ही होश उड़ गए। दरअसल यहाँ से पुलिस और श्रम विभाग की संयुक्त टीम को 37 बच्चे बरामद हुए है। दर्दनाक बात ये है कि सभी नाबालिग बच्चे बिहार के हैं और बीते डेढ़ साल से यहां बंधक बनाकर रखे गए थे और तो और इनकी उम्र 8 से 14 साल बताई जा रही है।
चंद रुपयों के लालच देकर ठेकेदारों से खरीदा बच्चों को।
बता दे छापेमारी के बाद बरामद हुए यह सभी बच्चे बिहार राज्य के सीतामढ़ी, खगड़िया सहित कई जिलों के हैं और चंद रुपयों के लालच देकर ठेकेदारों द्वारा लाए गए हैं। फिलहाल इन 37 बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने पेश किया गया है और अब कमेटी की रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल पुलिस ने थाना सदर में आईपीसी की धारा 370 (मानव तस्करी) और चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। फिलहाल मासूमों की तस्करी के मामले में खगड़िया के व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है।
कैसे हुआ इस मानव तस्करी का पर्दाफाश।
बचपन बचाओ आंदोलन के कोआर्डिनेटर दिनेश कुमार के मुताबिक इनकी संस्था बिहार में बच्चों के जीवन की रक्षा के लिए मुक्ति कारवां कैंपेन चला रही है। इसी कैंपेन में पता चला कि सीतामढ़ी-खगड़िया सहित आसपास के जिलों से दर्जनों की संख्या में बच्चों को बहला फुसलाकर ठेकेदार अपने साथ ले गए हैं। तब उन्होंने पुलिस के साथ इस तस्करी का पर्दाफाश कराया।
बच्चों के बदले माता – पिता को दिए 1000 से 2000 रूपए।
बता दे सीतामढ़ी-खगड़िया सहित आसपास के जिलों में ठेकेदारों ने बच्चों को बहलाया – फुसलाया और इसके बदले में बच्चों के माता-पिता को 1000 से लेकर 2000 रुपये तक की रकम भी दी गई। दिनेश कुमार (‘बचपन बचाओ’ आंदोलन के कोआर्डिनेटर) के मुताबिक इन बच्चों को डेढ़ से 2 साल पहले जालंधर लाया गया था, तब से इन बच्चों को बंधक बनाकर यहां रखा गया है।
कैसे मिली पुलिस को जानकारी और कैसे पुलिस ने की रेड।
सीपी जीएस भुल्लर के मुताबिक बचपन बचाओ आंदोलन के मोहन सादा निवासी खगड़िया (बिहार) ने ई-मेल के जरिये शिकायत भेजी थी कि प्रवेश सादा (युवक का नाम) निवासी गांव अरहन जिला खगड़िया आसपास के गांवों में रहते परिवारों को गुमराह करता है कि उनके बच्चे पंजाब में जाकर हर महीने के दस हजार रुपए कमाएंगे। वह बच्चों को वहां से लाकर यहां पर खेतों में काम करवाता है। बच्चे फोलड़ीवाल और कादियांवाली एरिया में फार्म हाउसों में काम करते हैं। इसके बाद बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधि, पुलिस और प्रशासन ने मिलकर रेड की।
बच्चे ले जाने के बाद नहीं थी माँ – बाप को अपने ही बच्चों की जानकारी।
दिनेश कुमार (‘बचपन बचाओ’ आंदोलन के कोआर्डिनेटर) का कहना है कि बच्चों को घर से लाने के बाद परिजनों को यह भी नहीं बताया गया कि बच्चे कहां हैं और न ही उन्हें कोई पैसे मिले। 3-4 माह बाद भी बच्चों की जानकारी नहीं मिली तो इसकी खबर हमारी संस्था बचपन बचाओ आंदोलन को मिली और हमे पता चला कि बच्चे जालंधर लाए गए हैं। उनका कहना था कि हमारी टीम 6 माह से इस पर काम कर रही थी और बुधवार को पुलिस कमिश्नर जीएस भुल्लर के प्रयासों से बंधक बच्चों को छुड़वाया गया है।
सुनवाई के बाद बच्चों को भेजा बॉयज शेल्टर।
बच्चों को छुड़ाने के मिशन में एसीपी क्राइम बिमलकांत, जिला प्रशासन से तहसीलदार और जिला प्रोटेक्शन अधिकारी अजय ने देर रात तक चले मिशन में 37 बच्चों को छुड़ाकर रात करीब 11:30 बजे राजपुरा शेल्टर होम भेजा गया। संगा फार्म से छुडवाए गए बच्चों को रात करीब 10:30 बजे सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया गया, जहां सुनवाई के बाद बच्चों को बॉयज शेल्टर में भेजा गया है।