गाजियाबाद के लोनी इलाके में मुस्लिम बुजुर्ग के साथ अभद्रता और मारपीट के मामले ने सोशल मीडिया पर जमकर तूल पकड़ी थी। इस मामले के बढ़ने के साथ ही जांच- पड़ताल भी तेज़ हुई और ऐसा सच निकलकर सामने आया जो वायरल दावों से काफी अलग था। दरअसल लोनी बॉर्डर इलाके में बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता के वीडियो को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया था लेकिन पड़ताल में ऐसा कुछ भी सामने निकलकर नहीं आया। इसी के साथ पुलिस ने अब बड़ा एक्शन लेते हुए ट्विटर इंडिया समेत 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
क्या है वीडियो में ?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक बुजुर्ग मुस्लिम को पीटा गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई।
FIR में क्या है आरोप?
गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि एफआईआर में जो आरोपी शामिल हैं वे वरिष्ठ पत्रकार और नेता हैं। इन्होंने जानबूझकर बिना किसी तथ्यों की जांच व सत्यापन किए झूठी, भ्रमित करने वाली और गलत सूचना पोस्ट की। इनका उद्देश्य दो धार्मिक संप्रदाय के लोगों के बीच शत्रुता, नफरत पैदा करना था।
ट्विटर पर क्या है आरोप ?
एफआईआर में लिखा गया कि गाजियाबाद पुलिस की ओर से स्पष्टीकरण जारी करने के बावजूद आरोपियों ने अपने ट्वीट्स डिलीट नहीं किए जिसके कारण धार्मिक तनाव बढ़ा है। इसके अलावा ट्विटर इंडिया और ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (TCIPL) की ओर से भी उन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
किन धाराओं में मामला हुआ दर्ज ?
इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 295ए, 505, 120 बी, और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
क्या कहना है पुलिस का?
एफआईआर में गाजियाबाद पुलिस ने कहा है, ‘लोनी में हुई घटना का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है जिसमें एक आदमी की पिटाई की गई और दाढ़ी काटी गई। निम्नलिखित संस्थाएं- द वायर, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, स्लैमन निजामी ने इस तथ्य की जांच किए बिना अचानक ट्विटर पर घटना को सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया और शांति भंग करने के लिए संदेश फैलाना शुरू किया। साथ ही धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद पैदा किए। ट्विटर ने वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया।’
एफआईआर में इनके नाम शामिल
इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने बयान जारी करने के बाद बड़ी कार्रवाई की। पुलिस ने देर रात ट्विटर इंडिया समेत 9 लोगों के खिलाफ फेक न्यूज और धार्मिक भावना भड़काने के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें मोहम्मद जुबैर (को फाउंडर ALT न्यूज), राना अयूब (वरिष्ठ पत्रकार, गुजरात फाइल्स की लेखक), द वायर (न्यूज वेबसाइट), सलमान निजामी (कांग्रेस नेता), मसकूर उस्मानी (कांग्रेस नेता), समा मोहम्मद (कांग्रेस प्रवक्ता), सबा नकवी (वरिष्ठ पत्रकार), ट्विटर Inc और ट्विटर कम्यूनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम शामिल हैं।
क्या थी वीडियो की सच्चाई ?
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि मामले की प्रारंभिक जांच में यह मिला कि जिन शरारती तत्वों ने घटना को अंजाम दिया वे पीड़ित के ही परिचित थे। पीड़ित ने उन्हें ताबीज बेचे थे और सकारात्मक परिणाम का आश्वासन दिया था। जब उन ताबीजों ने काम नहीं किया तो शरारती तत्वों ने गुस्से में पीट दिया। इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।