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केंद्रीय मंत्री अमित शाह के भाषण के बाद राज्यसभा में पारित हुए जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) पुनर्गठन (संशोधन) 2023 बिल  

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 केंद्रीय मंत्री अमित शाह के भाषण के बाद राज्यसभा में पारित हुए जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) पुनर्गठन (संशोधन) 2023 बिल  

 

शीतकालीन सत्र के दौरान आज सोमवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राजयसभा में जम्मू कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किये।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के बाद राजयसभा से जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित हो गए। बता दें कि दोनों विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा से पारित हो गए थे।

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर कहा, “यह एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि ये दोनों विधेयक पारित हो जाएंगे और इसलिए भी क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर और भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। आज सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर (पुनर्गठन) विधेयक, 2019 के पीछे की मंशा, इसकी संवैधानिक वैधता और प्रक्रिया को बरकरार रखा।”

इस दौरान उन्होंने कहा कि, “यह एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि ये दोनों विधेयक पारित हो जाएंगे और इसलिए भी क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर और भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। आज सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर (पुनर्गठन) विधेयक, 2019 के पीछे की मंशा, इसकी संवैधानिक वैधता और प्रक्रिया को बरकरार रखा।”

गृह मंत्री ने कहा कि “SC ने माना कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, इसमें कोई शंका नहीं है… अगर अनुच्छेद 370 इतना ही उचित और आवश्यक था, तो नेहरू ने इसके आगे अस्थायी शब्द का उपयोग क्यों किया होगा? जो लोग कहते हैं कि अनुच्छेद 370 स्थायी है, वे संविधान सभा की मंशा और संविधान का अपमान कर रहे हैं… आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता का यह दावा कि अनुच्छेद 370 को कभी हटाया नहीं जा सकता, पूरी तरह से खारिज कर दिया है”।

अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि परसों भी कई सवाल उठाए गए। लोकसभा में कहा गया कि ये बिल अभी लंबित है और जल्दबाजी में लाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा और हमें इसका इंतजार करना चाहिए। ये सभी न्याय के लिए नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो निर्णय किया था, उस निर्णय को लंबित करने के लिए थे।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह बोले कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि राज्यपाल शासन और राष्ट्रपति शासन की घोषणाओं को चुनौती देना ठीक नहीं है…जब अस्थायी प्रावधान किया गया तो सवाल उठा कि अगर यह अस्थायी है तो इसे हटाया कैसे जाएगा? इसलिए अनुच्छेद 373 के अंदर यह प्रावधान डाला गया कि राष्ट्रपति धारा 370 में संशोधन कर सकते हैं, उस पर प्रतिबंध लगा सकते हैं और उसे संविधान से पूरी तरह बाहर भी कर सकते हैं…

उन्होंने कहा कि “आज (अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट का) फैसला भी आ गया है। फिर भी, वे (कांग्रेस) कहते हैं कि वे इसे स्वीकार नहीं करते हैं और वे मानते हैं कि धारा 370 को गलत तरीके से हटाया गया। मैं उन्हें यह नहीं समझा सकता कि वास्तविकता क्या है…अनुच्छेद 370 ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया और अलगाववाद के कारण आतंकवाद को बढ़ावा मिला। एक गलत फैसला हो सकता है लेकिन जब इतिहास और समय यह साबित कर दे कि वह फैसला गलत है तो राष्ट्रहित की ओर लौटना चाहिए। मैं अब भी कहता हूं, वापस आ जाओ नहीं तो अब कितने (सदन के लिए चुने गए सांसद) बचे हैं, वह भी नहीं रहेंगे। अगर आप आज भी इस फैसले पर कायम रहना चाहते हैं तो जनता देख रही है- 2024 में मुकाबला होगा और पीएम मोदी तीसरी बार पीएम बनेंगे।”