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कांग्रेस को एक और बड़ा झटका, प्रखर प्रवक्ता गौरभ वल्लभ ने दिया पार्टी से इस्तीफा, कहा- “मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं,ना ही सुबह-शाम…”

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कांग्रेस को एक और बड़ा झटका, प्रखर प्रवक्ता गौरभ वल्लभ ने दिया पार्टी से इस्तीफा, कहा- “मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं,ना ही सुबह-शाम…”

 

लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी में जैसे इस्तीफों की होड़ लगी हुई है। बीते बुधवार बॉक्सर विजेंदर सिंह के इस्तीफे के बाद, अब गुरुवार को सुबह-सुबह पार्टी के मुखर और तेजतर्रार प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी पार्टी से अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।”

गौरव वल्लभ ने इस्तीफा देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक लंबी चौड़ी चिट्ठी भी लिखी है उन्होंने लिखा कि ‘पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही है।

गौरव ने चिट्ठी में लिखा कि जब मैंने पार्टी ज्वाइन की थी तब की कांग्रेस और अब की कांग्रेस में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से मैं पार्टी में कोई सही स्टैंड नहीं ले पा रहा हूं। पार्टी में बौद्धिक और नए आइडिया वाले युवाओं की कद्र नहीं हो रही है। पार्टी ग्राउंड लेवल पर किसी से कनेक्ट नहीं कर पा रही है। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है।

गौरव वल्लभ ने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर कांग्रेस के रुख से मैं क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया। पार्टी और गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं,  उन्होंने आगे कहा कि इन दिनों पार्टी रालत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं।