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कर्नाटक के संकट के पीछे सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच सत्ता संघर्ष है कारण: भाजपा नेता प्रह्लाद जोशी

Prahlad Joshi
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वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को कहा, कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मौजूदा मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बीच यह “सत्ता संघर्ष” है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है.

कांग्रेस के उस दावे को खारिज करते हुए कि राज्य में सरकार को अस्थिर करने और सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों के इस्तीफे के भाजपा है, जोशी ने कहा, “यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि कांग्रेस नेतृत्वहीन हो गई है और दूसरों को दोष देने के बजाय उन्हें अपने घर को स्थिर बनाना चाहिए.

राज्य भाजपा इकाई के पूर्व प्रमुख जोशी ने पीटीआई को बताया, “कांग्रेस में पूरी अराजकता है और इसकी कर्नाटक इकाई एक स्वतंत्र इकाई की तरह कार्य कर रही है, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व की राज्य इकाई में कोई सुनवाई ही नहीं होती.”

राज्य में बढ़ रहा राजनीतिक संकट, जो संसदीय चुनावों  में  भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद से ही शुरू हो गया है, अब 13 कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों के इस्तीफे सौंपने के बाद और गहरा गया है.

संसदीय चुनावों में कांग्रेस और जद (एस) 28 लोकसभा क्षेत्रों वाले राज्य में सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रहे. भाजपा को 25 सीटें मिलीं और उसके समर्थन वाली एक निर्दलीय को मांड्या से जीत मिली.

13 महीनों तक सत्ता में रहने वाले इस गठबंधन की 224 सदस्यीय विधानसभा में 118 की ताकत है और इस्तीफे स्वीकार किए जाने पर बहुमत खोने का खतरा है.

प्रह्लाद जोशी ने कहा, “विधायकों का इस्तीफा सिद्धारमैया का “गेम प्लान” है. वर्तमान राजनीतिक संकट वास्तव में सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच सत्ता संघर्ष का परिणाम है.”

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कर्नाटक में धारवाड़ के भाजपा विधायक जोशी ने कहा,”एक तरफ सिद्धारमैया सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं और दूसरी तरफ, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार इसे बचाने के लिए काम कर रहे हैं.”

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार, जो उस समय अपने कार्यालय में नहीं थे, जब गठबंधन के बागी विधायक शनिवार को अपने कागजात देने के लिए वहां गए थे, ने कहा, “सरकार गिर जाएगी या बचेगी” इसका फैसला “विधानसभा में किया जाएगा”.

कर्नाटक विधानसभा का सत्र 12 जुलाई से शुरू होगा.

गठबंधन के साथी, जेडी (एस) और कांग्रेस, के बीच मंत्री बर्थ के आवंटन और लोकसभा सीटों के वितरण पर मतभेद हैं.