भारत और पाकिस्तान रविवार को करतारपुर कॉरिडोर पर अपने मतभेदों को कम करने में सक्षम रहे और कहा कि वे सिख तीर्थयात्रा मार्ग के संचालन के लिए अधिकांश तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए सहमत हुए हैं.
दोनों देशों ने समझौते को औपचारिक रूप से समाप्त करने के लिए एक और बैठक आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की.
इस बैठक में पाकिस्तान की ओर से करीब 20 अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया. जिसकी अध्यक्षता पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैजल ने की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने करतारपुर पर पाकिस्तान से भारत की मांगें रखीं.
भारत के गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा के संयुक्त सचिव एससीएल दास ने मीडिया को बताया कि,“हम 14 मार्च, 2019 को आयोजित पहली बैठक के बाद से मतभेदों को कम करने में सक्षम रहे हैं. हमारी तकनीकी टीमें निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए आगे भी मिलेंगी. अन्य विवरणों पर ऐतिहात से काम किया जाएगा.”
#WATCH live from Attari: Indian delegation address the media after #KartarpurCorridor talks https://t.co/clNgX5u2jT
— ANI (@ANI) July 14, 2019
भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ बातचीत में बुनियादी ढांचे, तीर्थयात्रियों के आवागमन और सुरक्षा सहित कई प्रमुख मुद्दों को उठाया. भारत ने पाकिस्तान की ओर से सड़क निर्माण की वजह से डेरा बाबा नानक में संभावित बाढ़ को लेकर भी चिंता जताई.
पाकिस्तान के वाघा में पाकिस्तान के साथ संयुक्त सचिव स्तर की दूसरी वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले दास ने कहा, “दोनों पक्ष संचार के एक चैनल को बनाए रखने और तौर-तरीकों के समझौते पर अंतिम रूप देने के लिए काम करने पर सहमत हुए हैं. यदि आवश्यक हो, तो हमारे प्रतिनिधिमंडल औपचारिक रूप से समझौते को पूरा करने के लिए भारत में मिल सकते हैं.”
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि समझौते को 80 प्रतिशत अंतिम रूप दिया जा चुका है. फैजल ने कहा, “80 प्रतिशत से अधिक समझौते पर सहमति बनी है और इसके बाद एक या कुछ अधिक बैठकों की आवश्यकता होगी.”
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रविवार की बैठक में मार्च, अप्रैल और मई 2019 में आयोजित तकनीकी बैठक के तीन दौरों में प्रगति की भी समीक्षा की गई. दोनों पक्षों ने क्रॉसिंग बिंदु या ‘शून्य बिंदु’ निर्देशांक का समर्थन किया, जिनपर तकनीकी स्तर पर सहमति जताई गयी थी.
भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ करतारपुर मार्ग पंजाब में गुरदासपुर से तीन किलोमीटर दूर है. एक बार यह रास्ता खोलने के बाद, सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के करतारपुर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब तक सीधे पहुंचने में मदद करेगा। जहां गुरु नानक देव की मृत्यु 1539 में हुई थी. सूत्रों ने बताया कि गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती से पहले कॉरिडोर का काम 31 अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद है.