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इमरजेंसी के 44 साल, मोदी-शाह ने बताया लोकतंत्र की हत्या

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25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित की गयी इमरजेंसी के आज 44 साल पूरे हो चुके हैं. कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए भाजपा के कई नेताओं ने इमरजेंसी के दौर पर ट्विटर पर लिखा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री समेत कई अन्य नेताओं ने भी इसपर अपनी राय रखी.

पीएम मोदी ने ट्विटर पर इमरजेंसी पर आधारित एक वीडियो साझा किया, जिसमे इसमें संसद में दिए गए पीएम के भाषण का हिस्सा भी दिखाया गया है. उन्होंने लिखा,”भारत उन सभी महानुभावों को सलाम करता है जिन्होंने आपातकाल का जमकर विरोध किया. भारत का लोकतांत्रिक लोकाचार एक अधिनायकवादी मानसिकता पर सफलतापूर्वक हावी साबित हुआ.”

केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी इमरजेंसी को स्वतंत्र भारतीय इतिहास का सबसे काला दिन बताते हुए ट्विटर पर लिखा,”1975 में आज ही के दिन मात्र अपने राजनीतिक हितों के लिए देश के लोकतंत्र की हत्या की गई. देशवासियों से उनके मूलभूत अधिकार छीन लिए गए, अखबारों पर ताले लगा दिए गए. लाखों राष्ट्रभक्तों ने लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए अनेकों यातनाएं सहीं, मैं उन सभी सेनानियों को नमन करता हूं.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसपर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया रखी. उन्होंने लिखा,” 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा और इसके बाद की घटनाएं, भारत के इतिहास के सबसे गहरे अध्यायों में से एक के रूप में चिह्नित हैं. इस दिन, हमें भारत के लोगों को हमेशा अपने संस्थानों और संविधान की अखंडता को बनाए रखने के महत्व को याद रखना चाहिए.”

केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने इमरजेंसी के समय छपे एक अखबार की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “आज आधी रात को मैं अपना समय स्वतंत्रता के लिए समर्पित करूंगा क्योंकि 25 जून 1975 आधी रात को भारत में आपातकाल लगाया गया था तथा लोकतंत्र की हत्या उस क्षण हुई थी.”

विपक्षी पार्टियां भी इस मौके पर अपनी राय आगे रख रही हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा कि आज इमरजेंसी की बरसी है, लेकिन पिछले पांच साल में देश में सुपर इमरजेंसी लागू हो गई है.

उन्होंने लिखा,”पिछले पांच साल में भारत में सुपर इमरजेंसी के हालात हैं. हमें इतिहास से काफी कुछ सीखना चाहिए और लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करने के लिए लड़ते रहना चाहिए.”

बता दें कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू करने का ऐलान किया था. आपातकाल देश में करीब 2 साल तक चला था. आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले पत्रकारों और नागरिकों को जेल में डाला गया था.