देश की राजधानी दिल्ली की जनता के लिए डराने वाली खबर सामने आयी है। दरअसल दिल्ली का हर चौथा शख्स कोरोना वायरस की चपेट में आ चुका है। दिल्ली सरकार के ताजा सीरोलॉजिकल सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई है। 15,000 लोगों में SARS-CoV-2 के खिलाफ ऐंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए अक्टूबर में यह सर्वे हुआ था। सितंबर के सीरो सर्वे के मुकाबले, आंकड़ों में कोई खास बदलाव नहीं आया है। ताजा रिपोर्ट यह भी कहती है कि कोविड-19 पॉजिटिव मिले लोगों में एक बड़ी संख्या (43.5%) उनकी है जिनमें ऐंटीबॉडीज नहीं मिलीं।
दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने रखे गए आकड़े, कोर्ट ने लगाई फटकार
इस सीरो सर्वे के आकड़ों को दिल्ली सरकार ने बुधवार को हाई कोर्ट के सामने रखा जिसके बाद सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार को ढिलाई के लिए अदालत से फटकार भी मिली। राजधानी में COVID-19 के बढ़ते मामलों के बावजूद लोगों की आवाजाही और एक जगह एकत्र होने के नियमों में दी जा रही ढील को लेकर न केवल आम आदमी पार्टी कि खिचाई हुई बल्कि हालिया सीरो सर्वे की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली में चार में एक लोग कोरोनावायरस से संक्रमित होता है और वायरस ने राष्ट्रीय राजधानी के लगभग सभी घरों को निशाना बनाया है।
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सितंबर के पहले हफ्ते में हुए सीरो सर्वे में 25.1% लोगों में ऐंटीबॉडीज मिली थीं। अक्टूबर में यह आंकड़ा सिर्फ 0.4% बढ़कर 25.5% पर पहुंचा है। रिपोर्ट के अनुसार, सीरो प्रिवेलेंस में कमी की वजह ‘अगस्त में कम इन्फेक्शन दर्ज होना’ और ‘गायब होतीं’ ऐंटीबॉडीज हैं। अभी तक यह भी साफ नहीं है कि ऐंटीबॉडीज से कोविड-19 के खिलाफ कितने वक्त तक प्रोटेक्शन मिलती है।
राज्य करे सख्ती – अदालत
नियमों में ढील दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि कोरोनावायरस की स्थिति को देखते हुए जब दूसरे प्रभावित राज्य प्रतिबंध लगा रहे हैं तो दिल्ली सरकार नियमों में ढील क्यों दे रही है ? इतना ही नहीं जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा, “शहर की दरें हैरान करने वाली हैं। मौतों का आंकड़ा हर दिन दोगुना हो रहा है। जब मामले आसमान छू रहे हैं तो दिल्ली सरकार अन-लॉकडाउन की इजाजत क्यों दे रही है? आपने सब कुछ क्यों खोल दिया है? आप किन रणनीतियों पर चल रहे हैं?” इस फटकार के साथ अदालत ने राज्य को और सख्ती देने के निर्देश दिए है।