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राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने की सरकार की आपत्ति खारिज; कहा फाइलें स्वीकार्य प्रमाण है

राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने की आपत्ति खारिज; कहा फाइलें स्वीकार्य प्रमाण हैं
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लोकसभा चुनाव का पहला चरण शुरू होने से ठीक एक दिन पहले, भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को एक बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राफेल मुद्दे में रक्षा मंत्रालय की फाइलें स्वीकार्य सबूत हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि राफेल समीक्षा याचिकाओं को योग्यता के आधार पर सुना जाएगा और सुनवाई की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ही तारीख का फैसला किया जाएगा.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस एस के कौल और के एम जोसेफ ने कहा कि हम समीक्षा याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाने वाली भारतीय संघ की आपत्ति को ख़ारिज कर रहे हैं.

याचिकाएं भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा, पत्रकार से नेता बने अरुण शौरी और जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने दायर की थी.

यह आरोप लगाते हुए कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेज अनधिकृत रूप से फोटोकॉपी किए गए थे , सरकार ने इस मामले से दस्तावेजों को हटाने की मांग की थी. सरकार ने तर्क दिया था कि राष्ट्र की सुरक्षा बाकि किसी बे चीज़ से ज़्यादा अहम है.

केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर किए गए दस्तावेज़ राष्ट्रीय सुरक्षा को एक संवेदनशील स्थिति में डाल सकते हैं और जिन लोगों ने कागज़ात की फोटोकॉपी कर उनकी चोरी की है, उन्होंने राष्ट्र सुरक्षा को खतरे में डाला है.

अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया है और कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के साथ ही गोपनीयता की अवधारणा को बदल दिया गया है.

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याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि “यदि एक दस्तावेज किसी तथ्य को तय करने में प्रासंगिक है, तो उसे कैसे प्राप्त किया गया, यह महत्त्व नहीं रखता”.

पिछले महीने इसकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र के अनुसार, ये दस्तावेज़ राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं और अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए . न्यायालय ने ये भी कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत इस पर विचार करना होगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली अदालत ने कहा,” भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में, संवेदनशील संगठनों को भी आरटीआई के तहत जानकारी का खुलासा करना पड़ता है.

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