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भीषण गर्मी के चलते 12 राज्यों में बिजली संकट, राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

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गर्मी अपने तेवर दिखाने से पीछे नहीं हट रही है. भीषण गर्मी का दौर परेशानी का शबब बन गया है. जहां एक ओर देश में बढ़ती गर्मी लोगों के पसीने निकाल रही है वहीं दूसरी ओर गर्मी और कोयले की कमी होने के कारण देश में बिजली संकट गहराता जा रहा है.

 

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे 12 राज्यों में लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है.

 

भीषण गर्मी के प्रकोप के चलते लोग परेशान हैं, जीने के लिए बिजली की आवश्यकता है. ऐसे में बिजली की मांग बढ़ रही है, वहीं थर्मल प्लांट पर और भी ज्यादा दबाव पड़ रहा है. साथ ही कुछ राज्यों द्वारा कोयला कंपनियों को भुगतान में देरी भी कोयला आपूर्ती को प्रभावित कर रही है.

 

भारत में पिछले हफ्ते 623 मिलियन यूनिट बिजली की शॉर्टेज हुई है. आपको बता दें कि यह पूरे मार्च महीने में हुई शॉर्टेज से ज्यादा है.

 

वहीं विपक्ष सरकार पर लगाम कसने के लिए तैयार है. राहुल गांधी ने बिजली संकट को लेकर बड़ा दावा करते हुए सरकार पर तंज कसा, राहुल गांधी ने बुधवार 27 अप्रैल को अपने फेसबुक पर एक पोस्ट किया. राहुल गांधी ने पोस्ट पर लिखा,

 

“मैने मोदी सरकार को चेतावनी दी थी कि बिजली की मांग चरम पर होने के कारण कोयले के भंडार की कमी देश के लिए तकलीफ का कारण बनेगी, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के बजाय इसको टाल दिया.”

 

राहुल गांधी ने पोस्ट में आगे लिखा

 

“अब सच आपके सामने है.

165 में से 106 कोयला संयंत्रों में 25 प्रतिशत से कम स्टॉक बचा है.

कुल स्टॉक 66.32 मिलियन टन (663.2 लाख टन) होना चाहिए लेकिन हमारे पास स्टॉक में सिर्फ 21.55 मिलियन टन (215.5 लाख टन) कोयला ही बचा है.

गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे बाकी राज्य बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

 

कुछ राज्य तो कोयला आयात करने के लिए भी मजबूर हैं. COVID याद है न, जब सरकार ने भारत के प्रति अपनी जिम्मेदारी को त्याग दिया था? उस वक्त कई राज्यों को ‘आत्मनिर्भर’ बनना पड़ा और उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर आयात करने के विकल्प तलाशने पड़े थे. ऐसा ही कोयले के साथ भी हो रहा है. बेरोजगारी, महंगाई, व्यापार बंदी होने से पहले से ही हमारी अर्थव्यवस्था की कमर टूट रही है. इस गंभीर स्थिति के लिए अभिमानी और अक्षम मोदी सरकार जिम्मेदार है.”

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