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अर्नब गोस्वामी को अंतरिम बेल देने के कारणों को SC ने किया स्पष्ट, कहा – पुलिस FIR में लगाए गए आरोप नहीं हुए साबित

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आत्महत्या के लिए कथित तौर पर उकसाने के 2018 के मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत प्रदान करने के संबंध में आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत कारण बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत प्रदान करने के संबंध में कारण बताते हुए कहा महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर का प्रथम दृष्टया मूल्यांकन उनके खिलाफ आरोप स्थापित नहीं करता है।

अर्नब की जमानत रहेगी 4 हफ्तों तक – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की 2018 में आत्महत्या मामले में अंतरिम जमानत तब तक जारी रहेगी जब तक बॉम्बे HC उनकी याचिका का निपटारा नहीं कर देता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत अगले 4 सप्ताह के लिए होगी जिस दिन से मुंबई हाईकोर्ट ने आत्महत्या के मामले में उनकी जमानत याचिका पर फैसला किया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज इस पर अपने फैसले के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि उन नागरिकों के लिए इस अदालत के दरवाजें बंद नहीं किए जा सकते, जिन्होंने प्रथम दृष्टया यह दिखाया है कि राज्य ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। साथ ही कहा कि एक दिन के लिए भी किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनना गलत है।

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अर्नब के खिलाफ आरोप नहीं हुए साबित।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के कारण बताते हुए ये भी कहा कि एक दिन के लिए भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत अधिक है। जमानत अर्जी से निपटने में देरी की संस्थागत समस्याओं को दूर करने के लिए अदालतों की जरूरत है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अर्नब के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर और आत्महत्या के लिए अपमान के अपराध की सामग्री के बीच कोई संबंध नहीं दिख रहा है। ऐसे में अर्नब के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो रहे हैं।

अर्नब गोस्वामी ने HC के फैसले को दी थी चुनौती।

बता दे इस मामले में शीर्ष अदालत ने मामले में दो अन्य आरोपियों-नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख को 50-50,000 रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी थी और उसने किसी भी प्रकार से सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जांच में सहयोग के लिए कहा था। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक गोस्वामी ने अंतरिम जमानत देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।

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