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डिजिटल युग में भी डाक सेवाएं क्यों हैं ज़रूरी?

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आज के तेज़ रफ्तार डिजिटल युग में जहां हर कोई ईमेल, इंस्टेंट मैसेजिंग और ऑनलाइन बैंकिंग जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहा है, वहां पारंपरिक डाक सेवाएं कुछ लोगों को पुरानी लग सकती हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी डाक सेवाएं हमारे समाज में एक अहम भूमिका निभा रही हैं। ये न केवल संदेश पहुंचाने का माध्यम हैं, बल्कि देश के दूरदराज़ हिस्सों को जोड़ने, ज़रूरी चीज़ें पहुंचाने और सरकारी योजनाएं ज़मीन तक लाने का भी एक मज़बूत जरिया हैं।

डाक सेवाएं: गांवों और शहरों के बीच का ब्रिज

जहां एक तरफ़ शहरों में लोग स्मार्टफोन और इंटरनेट की मदद से जुड़ चुके हैं, वहीं गांवों में आज भी बहुत से लोग डिजिटल सुविधाओं से दूर हैं। ऐसे में डाक सेवाएं ही वह माध्यम हैं जो इन लोगों को देश की मुख्यधारा से जोड़ती हैं। भारत में लगभग 1.5 लाख डाकघर हैं और इनमें से करीब 90 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। डाक सेवाएं यहां न केवल चिट्ठियां पहुंचाती हैं बल्कि दस्तावेज़, दवाइयां, ज़रूरी सामान और सरकारी योजनाएं भी समय पर पहुंचाती हैं।

ई-कॉमर्स और पार्सल सेवाओं में डाक की भूमिका

ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन के साथ डाक सेवाओं की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। देश के छोटे-छोटे कस्बों और गांवों तक ई-कॉमर्स कंपनियों का सामान पहुंचाने में डाक विभाग की अहम भूमिका है। इंडिया पोस्ट की पार्सल सेवाएं आज फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि देश के हर कोने में ग्राहक तक पार्सल पहुंचाया जा सके। जिन इलाकों में प्राइवेट कुरियर कंपनियां नहीं पहुंचतीं, वहां भी डाक सेवाएं भरोसे के साथ काम कर रही हैं।

डाक सेवाएं और बैंकिंग सुविधा का मेल

भारत के कई दूरदराज़ क्षेत्रों में आज भी बैंक नहीं हैं या फिर वहां पहुंचना आसान नहीं है। ऐसे में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने उन लोगों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाई हैं जो पहले इससे वंचित थे। अब डाकिया सिर्फ चिट्ठियां नहीं लाता, बल्कि मोबाइल डिवाइस के जरिए पैसे जमा करने, निकालने और ट्रांसफर करने जैसी सेवाएं भी घर-घर जाकर दे रहा है। यह पहल न केवल वित्तीय समावेशन की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि डिजिटल इंडिया को ज़मीन पर उतारने का एक शानदार उदाहरण भी है।

सरकारी योजनाओं को ज़मीन तक पहुंचाने में डाक की भूमिका

डाक विभाग ने कई सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने में मदद की है। चाहे बात पेंशन की हो, मनरेगा भुगतान की, कोरोना काल में दवाइयों और वैक्सीन की डिलीवरी की या फिर जनधन खातों की शुरुआत की — हर जगह डाक सेवाओं की मौजूदगी ने सरकार के प्रयासों को मजबूती दी है। डाक कर्मचारियों ने जोखिम उठाकर कोविड के समय भी लोगों तक मदद पहुंचाई, जो उनकी सेवा भावना का परिचायक है।

डिजिटल युग में खुद को बदल रही हैं डाक सेवाएं

डिजिटल दुनिया की जरूरतों को समझते हुए डाक सेवाएं भी खुद को लगातार अपडेट कर रही हैं। आज ई-मनी ऑर्डर, ऑनलाइन ट्रैकिंग, स्पीड पोस्ट, मोबाइल ऐप्स और ई-पासपोर्ट जैसी सेवाएं डाक विभाग के ज़रिए भी मिल रही हैं। हाल ही में शुरू हुआ पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (PSP 2.0) और ई-पासपोर्ट सुविधा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि डाक विभाग केवल अतीत की संस्था नहीं, बल्कि भविष्य की ज़रूरतों के साथ कदम मिलाकर चल रहा है।

डिजिटल युग में जहां हर चीज़ ऑनलाइन हो रही है, वहीं डाक सेवाएं उस भारत को जोड़ रही हैं जो अब भी इंटरनेट से पूरी तरह नहीं जुड़ पाया है। डाक विभाग न केवल संचार का जरिया है, बल्कि यह भरोसे, पहुंच और सेवा भावना का प्रतीक है। जब तक देश के हर नागरिक तक डिजिटल सुविधाएं पूरी तरह नहीं पहुंचतीं, तब तक डाक सेवाएं भारत की सेवा में ऐसे ही अहम बनी रहेंगी।

डिजिटल इंडिया का सपना, डाक सेवाओं के बिना अधूरा है।

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