भारतीय नौसेना की ताकत में एक और अहम इजाफा हुआ है। रूस के कलिनिनग्राड शहर में स्थित यंतर शिपयार्ड में आज (1 जुलाई) नौसेना के नवीनतम स्टील्थ मल्टी-रोल युद्धपोत ‘आईएनएस तमाल’ को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल कर लिया गया। इस ऐतिहासिक समारोह की अध्यक्षता वेस्टर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस एडमिरल संजय ज सिंह ने की। कमिशनिंग कार्यक्रम में भारत और रूस के कई शीर्ष रक्षा और सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए।
INS तमाल भारत और रूस की साझा ताकत और तकनीकी सहयोग का प्रतीक है। यह युद्धपोत भारत-रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों और दोस्ती का मजबूत उदाहरण है, जो वर्षों से मजबूती से कायम है। INS तमाल को पश्चिमी नौसैनिक कमान के तहत तैनात किया जाएगा, जो अरब सागर और पाकिस्तान के कराची पोर्ट के आसपास भारत की समुद्री सुरक्षा को और मज़बूत करेगा। इस युद्धपोत का निर्माण रूस के यंतर शिपयार्ड में हुआ है और यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। खास बात यह है कि यह भारत द्वारा विदेशी स्रोत से प्राप्त अंतिम युद्धपोत है।
‘तमाल’ नाम की पौराणिक महत्ता भी है। यह नाम इंद्र देव की उस दिव्य तलवार से लिया गया है जिसका उपयोग उन्होंने युद्धों में किया था। इस युद्धपोत का शुभंकर एक विशेष प्रतीक है, जो भारतीय पौराणिक चरित्र जाम्बवन्त (अमर भालू राजा) और रूस के राष्ट्रीय पशु यूरेशियन ब्राउन बियर के संयोजन को दर्शाता है। युद्धपोत के जवान खुद को ‘द ग्रेट बेयर्स’ कहकर गर्व महसूस करते हैं। INS तमाल का आदर्श वाक्य ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’ (हर समय, हर स्थान पर विजय) है, जो नौसेना की मिशन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
आईएनएस तमाल ‘टुशील क्लास’ का दूसरा युद्धपोत है, जो पुराने तलवार और तैग क्लास युद्धपोतों का अपग्रेडेड संस्करण है। यह क्रिवाक क्लास की आठवीं यूनिट है जिसे पिछले दो दशकों में रूस से हासिल किया गया है। इसके निर्माण की देखरेख भारत के विशेषज्ञों की एक टीम ने की, जो रूस के कलिनिनग्राड में स्थित वॉरशिप ओवरसीइंग टीम से जुड़ी रही। भारतीय नौसेना मुख्यालय में इस परियोजना का संचालन कंट्रोलर ऑफ वॉरशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन के तहत किया गया।
INS तमाल एक अत्याधुनिक स्टील्थ युद्धपोत है, जिसे रडार से बच निकलने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है। यह समुद्र में तेज़ी से हमला करने और खुद को दुश्मन की नज़र से छिपाए रखने में सक्षम है। इसकी लंबाई 125 मीटर है और वजन लगभग 3900 टन है। यह युद्धपोत 30 नॉट्स से अधिक की रफ्तार तक पहुंच सकता है और समुद्र में लंबी दूरी तक ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली जैसी खतरनाक मारक क्षमताएं शामिल हैं, जो समुद्र और ज़मीन दोनों पर लक्ष्य भेद सकती हैं। इसके अलावा, वर्टिकल लॉन्च मिसाइल सिस्टम, 100 एमएम गन, 30 एमएम CIWS, भारी टॉरपीडो, एंटी-सबमरीन रॉकेट्स और अत्याधुनिक सर्विलांस व फायर कंट्रोल सिस्टम इसे और घातक बनाते हैं।
INS तमाल में भारत की ओर से तैयार कई अहम सिस्टम लगाए गए हैं, जैसे ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केल्ट्रॉन, टाटा की नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया जैसे कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरण। इसकी स्वदेशी सामग्री की मात्रा पहले से दुगुनी होकर अब 33 फीसदी तक पहुंच गई है। सोनार सिस्टम, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमताएं और मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर इसे एक अत्याधुनिक और खतरनाक युद्धपोत बनाते हैं।
इस युद्धपोत की पूरी टीम ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग और कलिनिनग्राड की कठोर सर्दियों में थकाने वाले प्रशिक्षण के साथ-साथ कई महीनों तक चले समुद्री परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। INS तमाल आज भारतीय नौसेना के ‘स्वॉर्ड आर्म’, यानी वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा बन गया है। यह न सिर्फ भारतीय नौसेना की ताकत और तैयारियों का प्रतीक है, बल्कि भारत और रूस के बीच की साझेदारी की मजबूती का भी परिचायक है।
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