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Uniform Civil Code: यहाँ जानें क्या होता है समान नागरिक संहिता?, लागू होने के बाद लोगों पर क्या होगा असर

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Uniform Civil Code: यहाँ जानें क्या होता है समान नागरिक संहिता?, लागू होने के बाद लोगों पर क्या होगा असर

 

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता की जोरदार पैरवी की है। पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी की ओर से आयोजित ‘मेरा बूथ, सबसे मजबूत’ कार्यक्रम में यूसीसी पर जोर देते हुए विपक्ष पर जोरदार हमला किया था। पीएम मोदी ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पाएगा क्या? उन्होंने कहा कि तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा।  

पीएम मोदी द्वारा इस मुद्दे पर इतना खुलकर बोले जाने के बाद सियासी घमासान मच गया है। बताया  रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा इसे एक प्रमुख मुद्दा बनाएगी। आइए जानते हैं क्या है यह यूनिफॉर्म सिविल कोड।  

 

जानिए क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड

समान नागरिक संहिता के तहत सभी धर्म, जाति और समुदायों के लिए सिर्फ एक ही कानून होता है। इसमें किसी के लिए भी कोई छूट नहीं दी जाएगी, सभी एक ही कानून के तहत आएंगे। यानी शादी हो या फिर संपत्ति का बंटवारा हो, सभी को यूनिफॉर्म सिविल कोड का पालन करना होगा। वर्तमान में देश हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं।

गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 का हिस्सा है। संविधान में इसे नीति निदेशक तत्व में शामिल किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है। अनुच्छेद 44 उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के बारे में समान कानून की अवधारणा पर आधारित है।

इसके लागू होने पर लोगों पर क्या होगा असर 

समान नागरिक सहिंता के लागू होते ही हिंदू (बौद्धों, सिखों और जैनियों समेत), मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों को लेकर सभी वर्तमान कानून निरस्त हो जाएंगे। UCC के समर्थकों का तर्क है कि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर भेदभाव को कम करने और कानूनी प्रणाली को सरल बनाने में मदद करेगा।

इस राज्य में पहले से लागू है यूसीसी 

बता दें कि अभी तक केवल गोवा में यूसीसी लागू है। यह भी इसलिए हो पाया क्योंकि 1961 में जब गोवा आज़ाद हुआ तो वहां पुर्तगीज़ सिविल कोड लागू था।  यूसीसी असल में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्मों के अलग-अलग क़ानूनों की जगह एक समान क़ानून लाने की बात करता है। संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि ‘सरकार भारत के संपूर्ण भूभाग में नागरिकों को समान नागरिक संहिता के तहत लाने का प्रयास करेगी.’ इसका मतलब ये है कि या तो राज्य या केंद्र सरकार विवाह, तलाक़, गोद लेने और विरासत के मामले में क़ानून ला सकती है। 

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