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International Anti Corruption Day 2020 : जानें इस दिन का इतिहास और भ्रष्टाचार को लेकर भारत के चौंकाने वाले आकड़े

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भ्रष्टाचार यानी करप्शन एक ऐसी समस्या है जिसने भारत जैसे एक बड़े देश पर अपनी जटिल जड़े बुरी तरह से कसी है। ये एक ऐसी समस्या है जिसकी जड़ लालच और ये लालच कब, कहा, और कैसे किस के मन में आ जाये कोई अंदाजा नहीं लगा सकता और इसीलिए इसकी जड़ पकड़ पाना बहुत मुश्किल है और जब तक किसी बिमारी की जड़ न पकड़ में आये तब तक इसका इलाज भी संभव नहीं है।

तो आइये जानते है सबसे पहले क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस।

दुनिया का लगभग देश इस समस्या से ग्रसित है। इसी को ध्यान में रखते हुए 31 अक्टूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रस्ताव पारित हुआ था। उसके बाद से हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य रूप से मकसद भ्रष्टाचार के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है।

बता दे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार-विरोधी दिवस के रूप में नामित किया था, जबकि सम्मेलन दिसंबर 2005 में लागू हुआ था।

क्या है महत्व?

2030 के सतत विकास लक्ष्य को बनाए रखने, भ्रष्टाचार के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को भी प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है जो समाज की बनावट को भी खराब करता है।

अब जानें भ्रष्टाचार संबंधी वो आकड़े जो है डराने वाले।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर का भुगतान रिश्वत के रूप में किया जा रहा है, जबकि यूएसडी 2.6 ट्रिलियन को भ्रष्ट उपायों के कारण चुराया गया है। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार, यह अनुमान लगाया जाता है कि विकासशील देशों यानी (Developing Countries) में भ्रष्टाचार के कारण 10 गुना धनराशि खो चुकी है।

Transparency International के सर्वे में खुलासा -सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी के मामलों में नंबर-1 बना भारत।

अब बात करते है उस रिकॉर्ड कि जो भारत ने रिश्वतखोरी अथवा घूसखोरी के मामले में पूरे एशिया में बनाया है, जिस पर हर भारतीय को शर्म महसूस होगी। दरअसल भ्रष्टाचार के मामले में भारत की स्थिति एशिया में सबसे अधिक खराब है, क्योंकि भारत में घूसखोरी की दर 39 फीसदी है। भ्रष्टाचार पर काम करने वाले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने नवंबर 2020 में एक रिपोर्ट जारी की जिसमे सामने आया कि एशिया में घूसखोरी के मामले में भारत टॉप पर है।

क्या कहते है Transparency International के आकड़े ?

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की इसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सर्वेक्षण में शामिल 47 फीसदी लोगों का मानना है कि पिछले 12 महीनों में भ्रष्टाचार बढ़ा है, जबकि 63 फीसदी लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार अच्छा काम कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 46 फीसदी लोगों ने सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पर्सनल कनेक्शन का सहारा लिया है।

इतना ही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि रिश्वत देने वाले करीब 50 फीसदी लोगों से घूस मांगी गई थी। वहीं 32 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर वे घूस नहीं देते तो उनका काम नहीं हो पाता। जनवरी में विश्व आर्थिक मंच पर दावोस में जारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी एक पूर्व रिपोर्ट में भारत को भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों के बीच 80 वें स्थान पर रखा गया था।

63% लोगों का मानना कि शिकायत करने पर पुलिस करती है परेशान।

भारत में अधिकतर नागरिक (63 फीसदी) मानते हैं कि अगर वे पुलिस के पास भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करते हैं तो उन्हें परेशान किया जाएगा या उनसे बदला लिया जाएगा।

किस काम के लिए है कितने प्रतिशत घूस।

‘ग्‍लोबल करप्‍शन बैरोमीटर- एशिया’ के नाम से प्रकाशित सर्वे रिपोर्ट के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने जून और सितंबर के बीच 17 देशों के 20,000 लोगों से सवाल पूछे और इसमें जो आकड़े आये उसके मुताबिक भारत में पुलिस को घूस देने वाले लोगों की संख्या 42 फीसदी है। वहीं, पहचान पत्र जैसे कागजात बनवाने के लिए करीब 41 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी है। पुलिस वाले मामले मेंपर्सनल कनेक्‍शन का उपयोग कर सबसे अधिक 39 फीसदी ने अपना काम निकलवाया है। वहीं, पहचान पत्र हासिल करने के लिए 42 फीसदी और अदालती मामलों में काम निकलवाने के लिए 38 फीसदी लोगों ने पर्सनल कनेक्शन का इस्तेमाल किया है।

अब जानें सबसे ईमानदार देश।

इन सब के बीच दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां घूसखोरी नहीं चलती। ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ के मुताबिक सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देशों में डेनमार्क शीर्ष पर है। न्यूजीलैंड उसके साथ संयुक्त रूप से पहले नंबर पर है। इसके बाद फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे का नंबर आता है।

सोमालिया सबसे निचले पायदान पर।

वैश्विक रैंकिंग में सोमालिया सबसे निचले यानी 180वें नंबर पर है। उससे पहले दक्षिणी सूडान, सीरिया, यमन, वेनेजुएला और सूडान जैसे देश हैं।

भूटान शीर्ष 25 देशों में शुमार।

पड़ोसी देशों की बात करें तो भूटान ही एकमात्र देश है, जहां भ्रष्टाचार कम है। भूटान 68 अंकों के साथ 25वीं रैंकिंग पर है। बाकी अन्य देशों में स्थिति भारत से भी खराब है। श्रीलंका 93वें, नेपाल 113वें, मालदीव-म्यांमार 130वें और बांग्लादेश 146वें नंबर पर है।

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