आरोपों में घिरे पांच ऐसे मुख्यमंत्री जिन्हें अपने कार्यकाल से पहले ही छोड़नी पड़ी थी सीएम की कुर्सी, पढ़ें
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा पद से इस्तीफा देने की खबर से सियासी गलियारों में फिर गर्मी बढ़ गयी है। आबकारी नीति घोटाले के आरोपों में घिरे सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद यह ऐलान किया था, वहीं आज यानी मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के नए सीएम का भी ऐलान कर दिया है। पार्टी ने आतिशी मर्लेना को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्त किया है।
आप पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल पिछले 177 दिनों से जेल में बंद थे, लेकिन तब उन्होंने अपना पद नहीं छोड़ा था। अब जेल से रिहाई के बाद उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अपने पद को छोड़ने का ऐलान किया था। सीएम केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं के संबोधन के दौरान यह ऐलान करते हुए कहा था कि “मैं दो दिन बाद सीएम पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं। जब तक जनता अपना फैसला नहीं दे देती, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैं हर घर और गली में जाऊंगा और जब तक जनता का फैसला नहीं मिल जाता, तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा.” केजरीवाल ने कहा कि इज्जत और ईमानदारी के अलावा मैंने कुछ नहीं कमाया। बैंक अकाउंट खाली है। AAP के खाते खाली हैं। एक पल में छोड़ दूंगा।
देश की राजधानी दिल्ली में अगले साल फरवरी में चुनाव होने है। ऐसे में आप नेता अरविंद केजरीवाल के “जब तक जनता अपना फैसला नहीं दे देती, मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा” इस बयान से दिल्ली की जनता के बीच बड़ा इमोशनल दांव खेला है। दिल्ली की जनता को एक बार फिर अपने पाले में लाने के लिए व अपनी छवि को ईमानदार साबित करने के आप नेता केजरीवाल ने यह दांव चला है। अब देखना यह होगा कि क्या एक बार फिर से दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी पर अपना भरोसा जताती है या नहीं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब आरोपों से घिरे किसी सीएम ने अपनी कुर्सी से इस्तीफा दिया है। तो आइए जानते हैं भारत के पांच ऐसे मुख्यमंत्रियों को जिनको आरोपों में घिरे होने के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा हो। –
दिल्ली- मदन लाल खुराना
देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली की राजनीति अक्सर चर्चा का विषय रहती है। आज भी जब बात आरोपों में घिरे किसी मुख्यमंत्री के इस्तीफे की हो रही है तो उसमें भी दिल्ली का नाम ऊपर रहेगा। यह बात है साल 1996 की जब भाजपा के दिग्गज नेता रहे मदन लाल खुराना दिल्ली के सीएम हुआ करते थे।वह 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे। लेकिन साल 1996 में खुराना और बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी जैन हवाला केस में घिरे गए। विपक्ष ने भ्रष्टाचार के मसले पर घेरा तो जनवरी 1996 में आडवाणी ने बीजेपी अध्यक्ष का पद छोड़ा और बेदाग साबित होने तक चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया। जिसके बाद खुराना पर भी प्रेशर बना और उन्हें भी सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी। दिल्ली के मदन लाल खुराना को दिल्ली का शेर कहा जाता था।
हरियाणा- ओम प्रकाश चौटाला
हरियाणा की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के कर्ताकर्ता ओम प्रकाश चौटाला कुल पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। ओमप्रकाश चौटाला सात बार विधायक बने विभिन्न विधानसभा सीटों से तीन उपचुनाव और चार आम चुनाव जीते हैं। बात है दो दिसंबर 1989 की जब एक तरफ देवी लाल ने देश के उप प्रधानमंत्री की शपथ ली। वहीं ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री की शपथ ली। उस समय ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा विधानसभा के मेंबर नहीं थे। ओमप्रकाश चौटाला को 6 महीने के भीतर विधायक बनना था। इसके लिए ओमप्रकाश चौटाला ने रोहतक की महम सीट को चुना। महम में इलेक्शन के दौरान दंगे भड़क गए. सड़कों पर लोगों के बीच मारपीट हुई। इस दौरान एक पार्टी वर्कर की मौत हो गई। हिंसा की वजह से चुनाव रद्द हो गया। महम में फिर चुनाव हुआ। दोबारा हिंसा हो गई और चुनाव को रद्द करना पड़ा। ओमप्रकाश चौटाला 6 महीन के भीतर विधायक नहीं बन पाए। इस वजह से उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह मास्टर हुकुम सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। इसके कुछ महीने बाद जब दोबारा चुनाव हुए तो ओमप्रकाश चौटाला जीत गए। ऐसे में हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन उनपर आपराधिक केस चल रहा था। ऐसे में ओमप्रकाश चौटाला को 6 दिन बाद ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
बिहार- लालू प्रसाद यादव
90 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, तो उनके कार्यकाल में पशुपालन घोटाला हुआ था। यह वो वक्त था जब बिहार-झारखंड संयुक्त बिहार हुआ करता था। बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव की देखरेख में पशुपालन घोटाला यानी कि चारा घोटाला हुआ था। साल 1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तर में छापेमारी की गई थी। इसके बाद 11 मार्च 1996 को पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था। 1996 में ही सीबीआई ने चाईबासा खजाने मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया। लालू यादव ने भी कानून की पढ़ाई की है, उन्हें इस बात का इल्म हो गया कि वह बचाने वाले नहीं है तो, उन्होंने 25 जुलाई 1997 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी धर्मपत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था।
झारखण्ड- हेमंत सोरेन
झारखण्ड के मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन को लोकसभा 2024 के चुनावों से पहले यानी जनवरी 31, 2024 को सीएम पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। बता दें कि बीती 31 जनवरी को ही ईडी की टीम कथित जमीन घोटाले को लेकर पूछताछ करने के लिए हेमंत सोरेन के आवास पहुंची थी। हेमंत सोरेन से जांच एजेंसी ने करीब 8 घंटे तक सवाल-जवाब किया। लंबी पूछताछ के बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके कुछ दिनों बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि इसके कुछ महीनों के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए और उन्होंने एक बार फिर से झारखण्ड के सीएम पद संभाला।
महाराष्ट- अशोक चव्हाण
महाराष्ट्र में 8 दिसंबर 2008 को कांग्रेस पार्टी से अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री बने लेकिन 9 नवंबर 2010 को उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। बता दें कि आदर्श घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने युद्ध में मारे गए सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बिल्डिंग बनाने का फैसला किया था। जिसे कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी के नाम से बनाया गया था। इसके बनने के बाद आरटीआई में खुलासा हुआ कि नियमों को ताक में रखकर इसके फ्लैट अफसरों, नेताओं को बेहद कम कीमत में दे दिए गए। इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ था।