EVM-VVPAT के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पूरी, फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT मामले में सुनवाई हो गयी। कोर्ट ने न इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए डाले गए वोटों के साथ वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की और करीब 5 घंटे ADR समेत अन्य वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता, यह एक फर्मवेयर है, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है। इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता।
पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है। इस पर चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है। उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है।
कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी। साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए। शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। वहीं चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे।