दिवाली और गोवर्धन पूजा मनाने के बाद देश में आज यानी 16 नवंबर 2020 को भाई दूज का त्यौहार मना रहा है। बता दे भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं। और इसके बदले भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए तोहफा देता है।
इस त्यौहार के लिए मान्यता है कि भाई दूज के दिन पूजा करने के साथ ही व्रत कथा भी जरूर सुननी और पढ़नी चाहिए। और कहा जाता है कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
क्या है भाई को टीका लगाने का शुभ मुहृत।
भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त दिन द्वितीया तिथि 16 नवंबर को सुबह 7.06 बजे शुरू होगी और 17 नवंबर को सुबह 3.56 बजे तक जारी रहेगा।
भाई दूज का इतिहास और महत्व।
इस त्यौहार के पीछे ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन पर हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए। यमुना ने कई बार यमराज को बुलाया था लेकिन वह उन्हें दर्शन देने में असमर्थ थे। हालांकि, एक बार जब यमराज ने यमुना का दौरा किया, तो उनका बहुत प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया गया।
यमुना ने अपने माथे पर तिलक भी लगाया, इतना प्यार पाने के बाद यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। उसकी बहन ने यमराज को हर साल एक दिन चिह्नित करने के लिए कहा जहां वह उसे देखने जाएंगे। इस प्रकार, हम भाई दूज को भाई और बहन के बीच के बंधन को मनाने के लिए मनाते हैं।
कैसे मनाया जाता है भाई दूज।
इस दिन सुबह नहा धोकर अपने भाई को एक पाट पर बैठाकर बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती है, फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती है। भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके साथ ही उसकी लंबी आयु,स्वस्थ जिवन,सफलता आदि की कामना कर के भाई की आरती करें औऱ उसके बाद उसे भजोन करवाया जाता है।