सुप्रीम कोर्ट ने EWS को लेकर सुनाया फैसला, देश में बरकरार रहेगा 10% EWS आरक्षण
आज सोमवार यानी 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने EWS को लेकर फैसला दे दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने आज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी EWS को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाया है। तीन जजों ने संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है। देश में आर्थिक कमजोर वर्ग को सरकारी नौकरियों EWS कोटे से मिलता रहेगा 10 प्रतिशत आरक्षण।
🔲 सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% #EWS आरक्षण प्रदान किया गया है।
चार न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि एक न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई। pic.twitter.com/632IgqwjcQ
— NewsMobile Samachar (@NewsMobileHindi) November 7, 2022
सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से फैसला सुनाया। बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट्ट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला शामिल थे। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस भट्ट ने अपनी असहमति जताई है।
गौरतलब है कि ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलने को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया और इसे रद करने की मांग की गयी है। सरकार ने कोर्ट में कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण देने के लिए बनाया गया है। इस लिहाज से यह संविधान के मूल ढांचे को मजबूत करता है। यह आर्थिक न्याय की अवधारणा को सार्थक करता है। इसलिए इसे मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं कहा जा सकता। बता दें कि 27 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।