Hindi Newsportal

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बीच केंद्र ने समलैंगिक विवाह पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मांगे विचार

0 331

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. ऐसे में केंद्र ने बुधवार को इस मामले पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के विचारों के लिए शीर्ष अदालत के समक्ष एक नया हलफनामा दायर किया.

 

खबरों के मुताबिक, केंद्र चाहता है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश मामले में पक्षकार बनें और उन्हें 10 दिनों के भीतर अपनी राय देनी होगी.

 

दरअसल केंद्र ने कहा है कि अदालत कोई फैसला करने से पहले केद्र को राज्यों के साथ परामर्श की प्रक्रिया को पूरा करने का समय दे. हालांकि कोर्ट ने कहा कि फिलहाल सेम सेक्स मैरिज पर केंद्र का अनुरोध नामंजूर किया गया है.

 

राज्यों के सभी मुख्य सचिवों को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है, “इस मामले पर किसी भी निर्णय के लिए मौजूदा सामाजिक रीति-रिवाजों, प्रथाओं, मूल्यों, मानदंडों, राज्य के नियमों और इस तरह के प्रभाव के आकलन की आवश्यकता होती है जो कि समाज के विभिन्न वर्गों में प्रचलित हो सकते हैं.”

 

पत्र में आगे कहा गया है, “यह महत्वपूर्ण है कि प्रभावी निर्णय के लिए सभी राज्य सरकारों के विचारों को शामिल करते हुए अदालत के समक्ष एक समग्र और सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाए.”

 

इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने समलैंगिक विवाह की वैधता पर दलीलें सुनीं. केंद्र ने तर्क दिया कि केवल संसद ही एक नए सामाजिक संबंध के निर्माण पर निर्णय ले सकती है और अदालत को पहले यह जांच करनी चाहिए कि क्या वह इस मामले की सुनवाई कर सकती है.