भाजपा सदस्य प्रियंका शर्मा की रिहाई में देरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंगाल सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया गया है.
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर मेमे बनाने को लेकर प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14 मई को तत्काल रिहा करने के आदेश के लगभग 24 घंटे बाद शर्मा को रिहा किया गया था.
उनकी रिहाई का आदेश देते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा था कि भारतीय जनता युवा मोर्चा की सदस्य प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी “मनमानी” के रूप में की गयी थी. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को कार्यकर्ता के भाई राजीब शर्मा द्वारा दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया था.
प्रियंका शर्मा को 10 मई को गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने 6 मई को खींची गयी प्रियंका चोपड़ा की मेट गाला लुक की तस्वीर पर चस्पा किये गए ममता बनर्जी के चेहरे की तस्वीर को सोशल मीडिया पर साझा किया था. 26-वर्षीय शर्मा पर मानहानि से संबंधित दंडात्मक प्रावधान, आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने और यौन सामग्री सोशल मीडिया पर फैलाने का आरोप लगाया गया था.
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प्रियंका शर्मा भाजपा युवा मोर्चा की नेता हैं और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए थे. इसकी शिकायत तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने की थी.
14 मई को सुप्रीम कोर्ट की एक अवकाश पीठ ने प्रियंका शर्मा को जमानत दे दी थी.
राजीव शर्मा ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि अदालत ने 14 मई के आदेश के बावजूद उनकी बहन को जेल से रिहा करने में 24 घंटे से अधिक की देरी की.