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बिहार में चमकी बुखार से 140 बच्चों की मौत, सुप्रीम कोर्ट के बाद संसद में उठा मुद्दा

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बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 140 तक पहुंच गयी है. अकेले मुजफ्फरपुर में 122 बच्चों की मौत हो चुकी है.

तीन हफ़्तों के भीतर सैंकड़ों की संख्या तक पहुंचे इस मौत के आंकड़े ने जहां मीडिया में हलचल मचा रखी है, वहीं अब ये मामला 17 वीं लोकसभा में भी पहुंच चुका है.

भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने शुक्रवार को लोकसभा में चमकी बुखार का मामला उठाया. उन्होंने चमकी बुखार होने के पीछे लीची खाने का तर्क देने को साजिश बताया. उन्होंने कहा कि इसके लिए लीची को दोष देना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि लीची को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों के कारण लीची के निर्यात में भारी गिरावट आयी है. हजारों टन लीची बंदरगाहों पर पड़ी है. इससे बिहार के लीची उत्‍पादकों को भारी नुकसान भी हो रहा है.

लोकसभा में कांग्रेस सासंद अधीर रंजन चौधरी ने बच्चों की मौत का मुद्दा उठाया. उन्होंने सरकार से इसपर अपना पक्ष साफ़ करने की मांग की कि सरकार आखिर बिहार में हो रही मौतों को रोकने की दिशा में क्या कदम उठा रही है. इस क्रम में उन्होंने मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना पर भी सवाल उठाए.

संसद की निचले सदन में तो चमकी बुखार से जुड़े सवाल तो उठे ही, लेकिन राज्यसभा में भी इसे लेकर चर्चा हुई. राज्‍यसभा में राजद सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की. राज्यसभा में सदस्यों ने केंद्र सरकार से तत्काल पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की.

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने बिहार में चमकी बुखार से हुई मौतों पर शोक जताते हुए सभी सदस्यों के साथ मिलकर कुछ क्षणों का मौन रखकर जान गंवाने वाले बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

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चमकी बुखार के कारण बढ़ी मौतों की संख्या को सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान में लिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, बुधवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए तत्काल चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर 24 जून को सुनवाई करने पर सहमति जताई है.

दो अधिवक्ताओं द्वारा दायर की गई याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को तत्काल स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक चिकित्सा पेशेवरों के साथ 500 बेड के आईसीयू (गहन चिकित्सा इकाई) की व्यवस्था करने की मांग की गई है.