2019 में उत्तर प्रदेश की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए बहुजन समाजवादी पार्टी प्रमुख मायावती ने रविवार को अपने घर एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें संगठनिक पदों को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए.
मायावती के भाई आनंद कुमार को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं दानिश अली को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित किया गया है. इसके साथ ही जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव लोकसभा में बसपा के उपनेता होंगे. पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र राज्यसभा में बसपा के नेता होंगे.
इसके अलावा पार्टी में राष्ट्रीय समन्वयकों (नेशनल कॉर्डिनेटर) के दो पदों की घोषणा की गयी है, जिनके लिए मायावती के भतीजे आकाश आनंद और मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम को चुना गया है.
Danish Ali has been elected as the leader of BSP in Lok Sabha. Anand Kumar appointed as the Vice President of the party. Akash Anand and Ramji Gautam to be the National Coordinator of BSP. pic.twitter.com/s5FvENI98u
— ANI (@ANI) June 23, 2019
रविवार को हुई इस बैठक में मायावती द्वारा अपने भाई और भतीजे को श्रेष्ठ पदों पर नियुक्त किए जाने को लेकर सियासत फिर तेज़ हो गयी है. परिवारवाद की सियासत को निशाने पर लेते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि बसपा, सपा, कांग्रेस यह सभी परिवारवादी पार्टियां हैं. यह पार्टियां कभी भी देश और प्रदेश का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं.
उन्होंने आगे कहा,”हमारे यहां पार्टी का बूथ अध्यक्ष जिला का अध्यक्ष होगा. क्षेत्र का अध्यक्ष होगा और प्रदेश का अध्यक्ष होगा. लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस में तय है कि उनके परिवार का ही सदस्य पार्टी का मुखिया होगा. इसी के चलते आज देश की जनता ने सपा, बसपा और कांग्रेस को नकार दिया है.” मौर्या के रविवार को दिए इस बयान को मायावती से जोड़ कर देखा जा रहा है.
ALSO READ: योग दिवस पर किए ट्वीट को लेकर बढ़ सकती है राहुल गांधी की मुश्किलें, वकील अटल दुबे…
लोकसभा चुनावों में पार्टी की नाज़ुक दशा को देखते हुए मायावती ने पार्टी के उच्च पदों में अहम बदलाव किए हैं. इससे पहले जून की शुरुआत में दिल्ली में बसपा की बैठक में मायावती ने छह राज्यों के लोकसभा चुनाव प्रभारियों की छुट्टी कर दी थी. इसके साथ ही तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को भी उनके पद से बेदखल कर दिया था.
बसपा उपचुनाव के सहारे 2022 के विधानसभा चुनाव का रास्ता तैयार करने की तैयारी में जुट गई है. मायावती इस दिशा की ओर काम कर सकती हैं कि यदि बसपा होने वाले उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन दिखाती है तो ऐसे में उसके लिए 2022 के विधानसभा चुनाव साधना मुश्किल नहीं होगा.
बता दें कि 2019 लोकसभा चुनावों में बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा था, जिसके बाद भी दोनों पार्टियाँ संतोषजनक मात्रामें वोट बटोरने में नाकामयाब रही थी. बसपा ने जहां उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से केवल 10 सीटें अपने नाम की, वहीं सपा केवल पांच सीटों पर जीत दर्ज कर सकी.
मायावती 2022 के विधानसभा चुनावों को साधने के लिए हर रणनीति को आजमा रही है. यदि उन्हें अपनी पार्टी किसी भी स्तर पर कमज़ोर लगती है तो ऐसे में सपा के साथ गठबंधन के विकल्प पर उन्होंने पूरी तरह विराम नहीं लगाया है. हालांकि उन्होंने पहले यह स्पष्ट तौर पर कहा था कि बसपा उपचुनाव अकेले ही लड़ेगी.