हमारे देश में सभी प्रमुख चौराहों और तिराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लाईट होने के बावजूद भी ट्रैफिक जाम लगना आम बात है, और इन्ही ट्रैफिक जाम के कारणों से कई बार आपात सेवा एम्बुलेंस को भी लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। मगर अब इस दिक्कत से जल्द ही निजात मिलने वाला है। दरअसल इन्ही मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए बनारस के छात्रों ने एक स्मार्ट एम्बुलेंस का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है, जो रेड सिग्नल को ग्रीन कर गंतव्य तक पहुंचेगी और मरीज़ को सही समय पर इलाज मिल जाएगा।
स्मार्ट एम्बुलेंस बनाने वाले तीन छात्र तुषार तिवारी, आशीष मौर्य और सौरभ कुशवाहा है। तीनों वाराणसी के अशोक इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करते है। तुषार तिवारी के मुताबिक हमे अक्सर देखने को मिलता है की ट्रैफिक पे रेड सिग्नल होने पर एम्बुलेंस में कई मरीजों की जान चली जाती है ऐसे में हमारा स्मार्ट एम्बुलेंस डिवाइस रेड सिग्नल होने पर इमरजेंसी में ट्रैफिक के रेड सिग्नल को ऑटोमेटिक ग्रीन कर देता है,जिससे एम्बुलेंस समय रहते पेशेंट को लेकर हॉस्पिटल पहुंच कर मरीज की जान बचा सकती है।
कैसे काम करेगा सिग्नल?
सौरभ कुशवाहा ने बताया कि यह डिवाइस RF (रेडियों फ्रीक्वेंसी) ट्रांसमीटर रिसिवर के बेस पे काम करता है। ट्रांसमीटर को हम ट्रैफिक लाइट से कनेक्ट कर देते हैं और रिसिवर सर्किट को हम एम्बुलेंस में लगा देते हैं, निर्धारित रेंज में आते ही एम्बुलेंस में लगा रिसिवर ट्रेफिक सिग्नल में लगे ट्रांसमीटर को इमरजेंसी सिग्नल देता है, जिससे ट्रेफिक सिग्नल अगर रेड हो तो सिग्नल ग्रीन हो जाता है और एम्बुलेंस को हॉस्पिटल पहुंचने में आसानी होगी।
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छात्र आशीष मौर्या ने बताया कि का हमने प्रोटोटाईप मॉडल तैयार किया है। इसमें हमने 9वोल्ट ऑपरेटेड ट्रांसमीटर रिसिवर सर्किट RF Module 433 Mhz RF Transmitter and Receiver Module जिसकी रेंज तकरिबन 20 मीटर है जिसे कम या ज्यादा किया जा सकता है। ग्रीन रेड सिग्नल लाइट, मॉडल की हाईट 2 फ़िट, 5 वोल्ट रिले का इस्तेमाल किया है।
इस प्रोटोटाइप मॉडल के बारे में बोलते हुए अशोका के आर एन्ड डी हेड (रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड) श्याम चौरसिया ने कहा कि छात्रों ऐसे विषय को चुना है जिससे आम जन का सहयोग होगा। अभी भी समाज में ऐसे लोग हैं जो एम्बुलेंस के हूटर के बाद भी अपनी बाइक या गाड़ी साइड नही करते ऐसे में इस तरह के मॉडल की बहुत आवश्यकता है।