विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी (WHO) ने फाइजर (Pfizer) और बायोएनटेक (BioNTech) की कोविड-19 वैक्सीन(Coronavirus Vaccine) के आपातकाल इस्तेमाल को बीते दिन मंजूरी दे दी है। इसी के साथअब दुनियाभर के देशों के लिए रास्ते खुल गए हैं कि वह इस वैक्सीन के आयात और वितरण की जल्द अनुमति दे सकें। हालांकि, इससे पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि डब्ल्यूएचओ चीन की वैक्सीन को मंजूरी दे सकता है।
The Pfizer/BioNTech #COVID19 vaccine today became the first vaccine to receive WHO validation for emergency use since the outbreak began.
Equitable global access to vaccines is crucial to combat the pandemic.
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— World Health Organization (WHO) (@WHO) December 31, 2020
बता दें कि सबसे पहले ब्रिटेन ने फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दी थी। इसके बाद वहां वैक्सीनेशन के अभियान की शुरुआत हो गई थी। ब्रिटेन के बाद अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय संघ के अन्य देशों ने भी फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत दे दी। अब डब्ल्यूएचओ की मंजूरी के बाद अन्य देश भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी अपने- अपने देश में दे सकते है।
The WHO Emergency Use Listing (EUL) allows countries to expedite their own regulatory approval processes to import & administer the #COVID19 vaccine. It also enables @UNICEF to procure the vaccine for distribution to countries in need.
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— World Health Organization (WHO) (@WHO) December 31, 2020
डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में कहा कि फाइजर-बायोटेक वैक्सीन पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे कोरोना महामारी के आने के बाद संगठन की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। डब्ल्यूएचओ की असिस्टेंट डायरेक्टर मैरिएंगेला सिमाओ ने कहा कि कोरोना वायरस वैक्सीन की वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में ये एक बेहद ही सकारात्मक कदम है।
फिलहाल मिली है इमरजेंसी इस्तेमाल को मंज़ूरी, लेकिन कब मिलेगी पूरी मंज़ूरी?
डब्लूएचओ ने फिलहाल तो केवल मरजेंसी इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है लेकिन WHO फाइजर की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी की पूरी और विस्तृत जांच बाद में करेगी। बता दे फाइजर की वैक्सीन को डब्लूएचओ की हरी झंडी मिलने का मतलब है कि अब गरीब देशों को जल्द ही यूरोप और उत्तरी अमेरिका में पहले से उपलब्ध कोरोना के खुराक मिल सकती है।
गौरतलब है कि हर देश के पास अपनी एक ड्रग रेग्युलेटरी एजेंसी है, जो किसी भी कोरोना वैक्सीन के लिए अपनी मंजूरी देने के बाद ही उसका इस्तेमाल करेगी। लेकिन कुछ कमजोर सिस्टम वाले देश आमतौर पर वैक्सीन के टेस्ट के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन पर निर्भर करते हैं।