प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के शौर्य दिवस पर सीआरपीएफ के जवानों के साहस की सराहना की.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि, “सीआरपीएफ का साहस व्यापक रूप से जाना जाता है। सीआरपीएफ वीरता दिवस पर, आज मैं इस बहादुर बल को सलाम करता हूं और 1965 में गुजरात के सरदार पटेल पोस्ट में हमारे सीआरपीएफ कर्मियों की बहादुरी को याद करता हूं। वीर शहीदों के बलिदानों को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।”
The courage of @crpfindia is widely known. On CRPF Valour Day today, I salute this brave force and remember the bravery of our CRPF personnel in Gujarat’s Sardar Patel Post in 1965. The sacrifices of the brave martyrs will never be forgotten.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 9, 2020
इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर सीआरपीएफ की सराहना की. उन्होंने लिखा, “09 अप्रैल 1965 को गुजरात के रण(कच्छ) में स्थित ‘सरदार पोस्ट’ पर सीआरपीएफ की एक छोटी सी टुकड़ी ने अपने से कई गुना अधिक संख्या वाली हमलावर दुश्मन फौज को हरा कर इतिहास रचा था। अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के प्रतीक सीआरपीएफ ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व हमारे वीर शहीदों को नमन्।”
09 अप्रैल 1965 को गुजरात के रण(कच्छ) में स्थित ‘सरदार पोस्ट’ पर @crpfindia की एक छोटी सी टुकड़ी ने अपने से कई गुना अधिक संख्या वाली हमलावर दुश्मन फौज को हरा कर इतिहास रचा था।
अदम्य साहस, वीरता और बलिदान के प्रतीक सीआरपीएफ ‘शौर्य दिवस’ की सभी को बधाई व हमारे वीर शहीदों को नमन्।
— Amit Shah (@AmitShah) April 9, 2020
बता दे कि आज के ही दिन अप्रैल 1965 में पाकिस्तानी सीमा से लगे हुए भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान सेना ने डेज़र्ट हॉक ऑपरेशन चलाया था। पाकिस्तान सीमा से लगे गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सरदार एवं टॉक पोस्टों पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की द्वितीय वाहिनी के दो कम्पनियां तैनात थी।
9 अप्रैल 1965 को सुबह 3.30 बजे पाकिस्तान की एक पूरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने सरदार व टॉक चौकियों पर हमला कर दिया था। 12 घंटे तक यह भीषण समर चलता रहा एवम् सीआरपीएफ के जवानों ने विशाल ब्रिगेड का डट कर मुकाबला कर उसे भारत की सीमा से वापस खदेड़ दिया।
इस युद्ध में सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी सेना के 34 जवानों को मार गिराया व 4 को जिंदा गिरफ्तार किया। इस युद्ध में सीआरपीएफ के 6 जवानों ने निडरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी और इतिहास में अमर हुए।
यह दुनिया के इतिहास में हुए अनेक युद्धों में से एकमात्र ऐसा युद्ध था जिसमें पुलिसबल की एक छोटी सी टुकड़ी ने दुश्मन की विशाल ब्रिगेड को घुटने टेक वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दिखाई गई इस बहादुरी को हमेशा याद करने के लिए 9 अप्रैल का दिन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.