नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने अपनी चंद्र खोज में एक और बड़ी छलांग लगाई क्योंकि अंतरिक्ष यान का ‘विक्रम’ लैंडर मॉड्यूल गुरुवार को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया.
चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है.
इसरो के मुताबिक- अब 23 अगस्त को शाम 5.45 पर लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी.इससे पहले चंद्रयान 3 पांचवीं और अंतिम कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर गया था. लैंडिंग के बाद लैंडर से छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा जो एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिन वहां प्रयोग करेगा.
इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए प्रयास कर रहा है, जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.
चंद्रयान -3 घटकों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल उपप्रणालियाँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य सुरक्षित और नरम लैंडिंग सुनिश्चित करना है जैसे कि नेविगेशन सेंसर, प्रणोदन प्रणाली, मार्गदर्शन और नियंत्रण, अन्य.