इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) इस साल कोरोना महामारी के दौरान एक बार फिर अंतरिक्ष में अपना परचम लहराने को तैयार है। आज यानी 7 नवंबर PSLV-C49 की लॉन्च की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। यह मिसाइल दस उपग्रहों यानी कि (Satellite) के साथ लॉन्च होगी। गौरतलब है कि आज पहले लॉन्च पैड से रॉकेट लॉन्च के लिए 26 घंटे की उल्टी गिनती बीते दिन शुक्रवार दोपहर को शुरू हो गई थी।
Countdown for the launch of #PSLVC49/#EOS01 mission commenced today at 1302 Hrs (IST) from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota.
Launch is scheduled tomorrow at 1502 Hrs IST . pic.twitter.com/JQ0nBXHChx
— ISRO (@isro) November 6, 2020
ISRO ने दी जानकारी।
यह लॉन्च दोपहर करीब 3 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से होने वाला है। इस लॉन्च में PSLV C49 रॉकेट अपने साथ EOS01 के रूप में प्राइमरी सैटलाइट ओर 9 दूसरे कमर्शल सैटलाइट ले जाएगा। इसरो ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि COVID-19 की वजह से लॉन्च (Launch) व्यू गैलरी इस लॉन्च के दौरान बंद हो जाएगी, और SDSC में मीडियाकर्मियों को इकट्ठा होने की अनुमति भी नहीं होगी।
#ISRO #EOS01
Filling of fuel for the second stage(PS2) of PSLV-C49 completed— ISRO (@isro) November 7, 2020
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इसरो का 51वां मिशन ।
बता दे वैसे तो इसे लॉन्च करने का टाइम दोपहर 3 बजकर 2 मिनट रखा गया है लेकिन मौसम अगर गड़बड़ हुआ तो इसरो ने अपना बैकअप प्लान भी तैयार कर रखा है। अगर सबकुछ सही रहा तो इस लॉन्च के साथ इसरो 328 विदेशी सैटलाइट अंतरिक्ष में भेजने में कामयाब रहेगा। इसके साथ जाने वाले 9 कमर्शल सैटलाइट विदेशी हैं। इसके अलावा यह इसरो का 51वां मिशन होगा।
All set for the launch of #PSLVC49 at 1502 hours today. Filling of oxidizer for the second stage (PS2) completed: Indian Space Research Organisation (ISRO) @isro pic.twitter.com/T1Fx7Hyls9
— NewsMobile (@NewsMobileIndia) November 7, 2020
इस लॉन्च से इन सब में कामयाब होगा भारत।
इस लॉन्च में प्राइमरी सैटलाइट EOS01 एक रेडार इमेजिंग सैटलाइट (RISAT) है। यह अडवांस्ड रिसैट है जिसका सिंथैटिक अपरचर रेडार बादलों के पार भी देख सकेगा। दिन हो या रात या कोई भी मौसम हो यह हर समय कारगर साबित होगा। इससे मिलिटरी सर्विलांस में मदद तो मिलेगी ही साथ ही खेती, वानिकी, मिट्टी की नमी मापने, भूगर्भ शास्त्र और तटों की निगरानी में भी यह सहायक साबित होगा।