दूसरी लहर की मार से उबरे और तेज़ी से टीकाकार में गति पकड़ रहे भारत देश के लिए एक खुशखबरी है। दरअसल देश में मॉडर्ना वैक्सीन के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। सिप्ला को मॉर्डना वैक्सीन के आयात यानी इम्पोर्ट के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की मंजूरी मिल गई है। सरकार ने आज ही इस सिलसिले में बड़ी घोषणा की है।
Cipla/Moderna gets DCGA (Drugs Controller General of India) nod for import of #COVID19 vaccine, Government to make an announcement soon: Sources pic.twitter.com/zsAIo6y70s
— ANI (@ANI) June 29, 2021
सिमित उपयोग के लिए है यह मंज़ूरी।
बता दे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित पहली वैक्सीन मॉडर्ना को ‘न्यू ड्रग परमिशन’ दिया गया है। वही यह भी जानने वाली बात है की यह मंजूरी सीमित उपयोग के लिए है।
DCGI ने दी सिप्ला को देश में सीमित आपात उपयोग के आयात की अनुमति।
डीसीजीआई ने ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स एक्ट,1940 के तहत नई औषधि एवं क्लिनिकल परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के मुताबिक सिप्ला को देश में सीमित आपात उपयोग के लिए मॉडर्ना के कोविड-19 टीके का आयात करने की अनुमति दे दी है।
सिप्ला ने अमरिकी फार्मा कंपनी से मांगी है आयात और विपणन की अनुमति।
भारतीय बहुराष्ट्रीय औषधि कंपनी सिप्ला ने अमरिकी फार्मा कंपनी की ओर से इन टीकों (मॉडेर्ना) के आयात और विपणन की अनुमति मांगी है।
मॉडेर्ना ने अलग पत्र में दी सूचना।
मॉडर्ना ने एक अलग पत्र में सूचना दी है कि अमेरिका ने यहां उपयोग के लिए कोविड-19 के अपने टीके की एक विशेष संख्या में खुराक ‘कोवैक्स’ के जरिए भारत सरकार को दान में देने की सहमति दी है।
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देश में अब 4 वैक्सीन – वी के पॉल।
निति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने यह जानकारी दी है कि इस तरह से देश में अब चार वैक्सीन हैं। इनमें कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक-वी और मॉडर्ना शामिल हैं।
गर्भवती महिलाओ के लिए भी सुरक्षित है ये वैक्सीन।
पॉल ने यह भी बताया कि ये चार वैक्सीन (कोवैक्सीन, कोविशील्ड, स्पुतनिक-वी और मॉडर्ना) स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। वैक्सीन का बांझपन से कोई संबंध नहीं है।
बता दे सिपला ने सोमवार को एक आवेदन देकर इस टीके के आयात की अनुमति मांगी थी। उसने 15 अप्रैल और एक जून के डीसीजीआई नोटिस का हवाला दिया है। नोटिस में कहा गया था कि यदि टीके को आपात उपयोग अधिककार (ईयूए) के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) द्वारा अनुमति दी जाती है, तो टीके को बिना ‘ब्रिजिंग ट्रायल’ के विपणन का अधिकार दिया जा सकता है। इसके अलावा, हर खेप को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कसैली से जांच कराने की जरूरत की छूट मिल सकती है।