मध्यप्रदेश: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि को बढ़ाने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा झटका लगा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया है.
1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये मांगने के लिए केंद्र सरकार ने याचिका दायर की थी.
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि, डाऊ कैमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है. 50 करोड़ रुपये अभी भी RBI के पास पड़े हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो “पेंडोरा बॉक्स” खुल जाएगा. समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता.
दरअसल यूनियन कार्बाइड के साथ अपने समझौते को फिर से खोलने के लिए केंद्र ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. 12 जनवरी को पांच जजों के संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था. तीन दिनों तक लगातार सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया. भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने के लिए केंद्र सरकार ने 2010 में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. सरकार चाहती है कि यूनियन कार्बाइड गैस कांड पीड़ितों को ये पैसा दे. वहीं यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा.