कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली समेत देश के अन्य इलाकों में ऑक्सीजन संकट ने लोगों की आत्मा को झकझोर दिया था। इस संकट में जनता और अस्पताल को हुई मुश्किलों की कल्पना भी कोई नहीं कर सकता। लेकिन इस संकट से उभरने के बाद दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी।
क्या कहा है ऑडिट टीम ने ?
ऑडिट टीम ने सुप्रीम कोर्ट को दी गई इस रिपोर्ट में कहा, ‘भारी गड़बड़ी पकड़ी गई है। बेड कपैसिटी के आधार पर तय फॉर्म्युले के मुताबिक दिल्ली को 289 मिट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने 1,140 मिट्रिक टन ऑक्सिनन की खपत का दावा किया था जो जरूरत से चार करीब गुना है।’
Supreme Court oxygen audit team submitted its report before SC stating Delhi government exaggerated its oxygen requirement by four times during the peak of the second wave of COVID crisis.
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) June 25, 2021
बता दे कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 13 मई को कहा था कि अब दिल्ली के पास अतिरिक्त ऑक्सिजन है जिसे दूसरे राज्यों को दिया जा सकता है। उन्होंने बताया था कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि उसके पास अतिरिक्त ऑक्सिजन है और इसे दूसरे राज्यों को भी दिया जा सकता है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि दिल्ली सरकार के मुताबिक, 183 अस्पतालों को 1,140 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत पड़ी थी, जबकि इन्हीं अस्पतालों ने बताया कि उन्हें सिर्फ 209 मीट्रिक टन ऑक्सिजन की जरूरत थी।
दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को आ सकती थी कमी।
ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति दिल्ली की ओर मोड़ दी गई थी।
The panel has commended the work done by the Central government with respect to Oxygen management for COVID-19. As per the report, A series of proactive steps were taken by Government of India last year, since March/April 2020, when the first wave of the pandemic hit the country.
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) June 25, 2021
ऑडिट के दौरान ये बात भी आई सामने।
ऑडिट के दौरान ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75% से अधिक क्षमता पर थे। यहां तक कि एलएनजेपी और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन टैंक भरे पड़े थे।
इन 4 अस्पतालों ने ऑक्सीजन खपत को लेकर दी गलत जानकारी।
रिपोर्ट में कथित तौर पर आगे कहा गया कि चार अस्पतालों – सिंघल, आर्यन आसफ अली, ईएसआईसी मॉडल और लिफेरे ने बहुत कम बिस्तरों की संख्या होने के बाद भी मेडिकल ऑक्सीजन की खपत को ज्यादा करके बताया। अस्पतालों के दावे स्पष्ट रूप से गलत प्रतीत हुए, इसकी वजह से दिल्ली के लिए अत्यधिक विषम जानकारी और काफी अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता की बात सामने आयी।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी रिपोर्ट।
बता दे दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन वितरण प्रणाली पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद ये खुलासा हुआ है।
निशाने पर आई दिल्ली सरकार।
समिति की इस रिपोर्ट के बाद सोशल मीडिया ट्विटर पर भी लोग केजरीवाल सरकार से कड़े सवाल पूछ रहे हैं। इसी क्रम में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है।
SC oxygen audit team finds Delhi Govt inflated oxygen need by 4 times during peak & affected supply to 12 high caseload states.
Hope accountability is fixed for disrupting oxygen supply across India.https://t.co/KA0lQZhMiE— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 25, 2021