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LJP में टूट: चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस को चुना गया लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल का नेता

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लोक जनशक्ति पार्टी से बगावत करने वाले चिराग पासवान के चाचा और सांसद पशुपति कुमार पारस को सर्वसम्मति से लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता चुना गया है। इस बाबत फैसला आज हुई मीटिंग में लिया गया है। बात दें कि चिराग के चाचा पशुपति समेत पांच सांसदों ने पार्टी से बगावत कर दी है। यही नहीं, आज एलजेपी के बागी पांचों सांसदों ने लोकसभा सांसद ओम बिरला से भी मुलाक़ात की।

चौधरी महबूब अली कैसर को चुना गया उपनेता।

इसके अलावा चौधरी महबूब अली कैसर को उपनेता चुना गया है और चंदन सिंह को पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया गया है। इसके साथ ही यह सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दी जा चुकी है।

जानें कैसे हुआ तख्तापलट।

दरअसल, दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में यह सियासी ‘तख्तापलट’ एकाएक हो गया है। सबसे पहले बता दे कि लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी ने छह सीटें जीती थीं। इनमें से पांच सांसदों पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया। इसके बाद चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया, जिन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान बगावत कर दी थी। पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ संसदीय दल का नेता भी बना दिया गया।

पशुपति के पक्ष में बोले सांसद महबूब अली कैसर, कहा – मजबूरी में लेना पड़ा ये फैसला।

इस बीच एलजेपी सांसद महबूब अली कैसर और वीणा देवी पशुपति के पक्ष में बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि चिराग पासवान संवाद कायम नहीं करते हैं। यही नहीं, वह संवाद का कोई जरिया भी नहीं अपनाते हैं। जबकि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होने का फैसला सही नहीं था। अगर चिराग पासवान हमारे साथ आना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। वह बहुत अच्छे वक्ता हैं, लेकिन हमें सबसे बुरा तभी लगा जब उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ा और मजबूरी में हमें यह कदम उठाना पड़ा है।

एलजेपी सांसद वीणा देवी ने कहा – NDA के प्रति प्रतिबद्धता सिद्ध करने के लिए उठाया ये कदम।

वहीं, एलजेपी सांसद वीणा देवी ने कहा कि एनडीए के प्रति प्रतिबद्धता सिद्ध करने के लिए हमने यह कदम उठाया है। बिहार विधानसभा चुनाव में हमने एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ा था जो कि बहुत गलत था। हम एनडीएक के साथ हैं और यही चीज साफ करने के लिए हम ने यह कदम उठाया है। एलजेपी जैसी थी वैसी ही है और आगे वैसे ही काम करती रहेगी।

इंतजार के बाद भी चिराग पासवान से नहीं मिलने नहीं आये पशुपति पारस।

इस सियासी उठक पटक के बीच जब चिराग पासवान सोमवार को अपने चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके आवास पहुंचे तो पहले तो उन्हें लगभग आधे घंटे तक गेट पर और उसके बाद अंदर के कैंपस में इंतजार करना पड़ा लेकिन बावजूद इसके उनकी मुलाकात चाचा पशुपति पारस से नहीं हो सकी। बता दे चिराग पासवान अपने चाचा के सरकारी आवास में लगातार उनका इंतजार करते रहे लेकिन पशुपति अपने भतीजे से मिलने नहीं पहुंचे।

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