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Farmers Protest: मोहाली, पंचकूला में किसानों और पुलिस के बीच हुआ टकराव; बेरिकेट्स तोड़ते हुए चंडीगढ़ में घुसे किसान, पुलिस ने छोड़ीं पानी की बौछारें

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कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए शुरू हुआ किसान आंदोलन आज अपने 7 महीने पूरा कर चूका है। अब किसानों द्वारा यह आंदोलन आठवे महीने में प्रवेश कर चूका है। इसी क्रम में आज यानी शनिवार को देश के अलग- अलग हिस्सों में किसानों ने आज राजभवन की और कुछ किया। किसान संगठनों के आह्वान पर आज पंजाब व हरियाणा के किसान भी इसीलिए ही अपने-अपने राज्यपालों को ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन की ओर बढे। लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम ने बावजूद भी पंजाब के किसान मोहाली के रास्ते चंडीगढ़ की सीमा में प्रवेश कर ही गए।

किसानों ने हटाई 8 – 9 बसे, तोड़े बैरिकेड्स।

इस कुछ के दौरान किसानों ने आठ और नौ चौक के बीच में लगाई गई बसों को भी हटाकर बैरिकेड तोड़ दिया और वह राजभवन की तरफ बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस किसी भी तरह से उन्हें कंट्रोल नहीं कर पा रही थी।

पंचकूला में एडीसी टू गवर्नर को खुद आकर लेना पड़ा ज्ञापन।

किसानों की ज़िद के आगे घुटने टेकते हुए पंचकूला में एडीसी टू गवर्नर को खुद मौके पर आकर ज्ञापन लेना पड़ा। बता दे उन्होंने पंचकूला-चंडीगढ़ बार्डर पर आकर खुद ज्ञापन लिया।

चंडीगढ़ पुलिस ने किसानों को रोकने चलाई पानी की बौछारें।

इधर मोहाली से चंडीगढ़ में एंटर हो रहे किसानों पर चंडीगढ़ पुलिस ने पानी की बौछारें चलाई, लेकिन किसान आगे बढ़ते रहे। किसानों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे, लेकिन फिर भी पुलिस ने पानी की बौछारें चलाई गयी।

आज पूरे घटनाक्रम की बातें करे तो बता दे दोपहर करीब पौने एक बजे किसान पंचकूला के नाडा साहिब गुरुद्वारा से रवाना हुए। वहीं मोहाली से किसानों ने अंब साहिब से यादविंदर चौक की तरफ कूच किया। इस दौरान किसान नेता रुलदू सिंह ने कहा कि आज के दिन इंदिरा गांधी की तरफ से इमरजेंसी लगाई गई थी। उसे याद करते हुए यह मोर्चा निकाला जा रहा है।

राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की उड़ी अफवाह, दिल्ली पुलिस और राकेश टिकट ने बताया ‘फेक न्यूज़’

इधर आज किसान देश के अलग-अलग राज्यों में राजभवनों का घेराव तो कर रहे है लेकिन इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की खबरों ने जोर पकड़ लिया है। सोशल मीडिया पर राकेश टिकैत के गिरफ्तार होने को लेकर कई पोस्ट आने लगे, जिसके बाद अब खुद राकेश टिकैत ने साफ किया है कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।

इस मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से भी ट्वीट किया गया है। दिल्ली पुलिस की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा है- ‘फेक न्यूज! विश्वास ना करें। झूठ फैलाने और शरारत करने की कोशिश करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’

राकेश टिकैत ने एक ट्वीट किया है, जिसके जरिए उन्होंने अपने गिरफ्तार न होने की बात कही है। उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए ये भी बताया है कि वे अभी गाजीपुर बॉर्डर पर हैं। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा हैं- ‘मेरी गिरफ्तारी की खबरें भ्रामक हैं। मैं गाजीपुर बॉर्डर पर हूं।

खुफिया एजेंसियों ने दी दिल्ली पुलिस को जानकारी – ‘पाकिस्तान की ISI आंदोलन में पैदा कर सकती है खतरा’

इस बीच खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के मुताबिक, किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने के साथ ही इस पर पाकिस्तान की ISI की नजर पड़ चुकी है और वह इन प्रदर्शनों पर खतरा पैदा कर सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बारे में दिल्ली पुलिस और CISF की टीमों को आगाह कर दिया गया है।

किसान आंदोलन की आशंका के मद्देनजर बंद रहेंगे मेट्रो स्टेशन।

दिल्ली मेट्रो ने किसान आंदोलन की आशंका के मद्देनजर येलो लाइन पर शनिवार को चार घंटे के लिए तीन मुख्य स्टेशन बंद रखने का निर्णय लिया है। शनिवार को किसानों के आंदोलन को सात महीने पूरे हो जाएंगे। दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघू बॉर्डर के अलावा टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में भी शनिवार को विरोध प्रदर्शन हो सकता है इसलिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम और पुलिस ने एहतियात के तौर पर सुरक्षा कदम उठाए हैं।

किसानों की ट्रैक्टर रैली की चेतावनी के बीच दिल्ली में चाक-चौबंद सुरक्षा।

कृषि कानून के विरोध में किसानों के आंदोलन को सात महीने पूरे हो गए हैं। इस मौके पर किसान संगठनों ने दिल्ली-यूपी और आसपास के राज्य में प्रदर्शन की चेतावनी दी है। दिल्ली में तो किसानों ने ट्रैक्टर रैली तक की बात कही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस ने अपनी तैयारियां मजबूत कर दी हैं।

कृषि मंत्री ने दोहराई अपनी बात – कानून वापस नहीं लेगी सरकार, पर प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार।

किसानों से विरोध प्रदर्शन खत्म करने व सरकार से बातचीत को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि मैं सभी किसान संघों से अपना आंदोलन समाप्त करने का आग्रह करता हूं। सरकार ने उनके साथ 11 दौर की बातचीत की थी। सरकार ने एमएसपी बढ़ाने और एमएसपी पर अधिक खरीद की दिशा में काम किया है। देश का एक बड़ा वर्ग इन कानूनों के समर्थन में खड़ा है। फिर भी अगर किसानों को कानून के किसी प्रावधान से कोई आपत्ति है तो सरकार उनकी बात सुनने, उनसे चर्चा करने और उस पर काम करने को तैयार है। हालांकि, वे पहले ही कह चुके हैं कि सरकार कानून वापस लेने पर कोई बात नहीं करेगी।

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