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स्पेस में जाने से पहले इन वर्कआउट्स से खुद को फिट रखते हैं अंतरिक्ष यात्री

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अंतरिक्ष में जाने वाले वैज्ञानिकों के लिए शारीरिक रूप से फिट रहना बेहद जरूरी होता है। जीरो ग्रैविटी यानी शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। यही वजह है कि किसी भी स्पेस मिशन पर जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना पड़ता है, जिसमें कई तरह की एक्सरसाइज शामिल होती हैं।

इन एक्सरसाइज का मकसद यह होता है कि अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक स्पेस में रहकर बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के काम कर सकें। यह वर्कआउट्स उनके शरीर की ताकत, सहनशक्ति (स्टैमिना), फ्लेक्सिबिलिटी और संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

कार्डियो एक्सरसाइज से दिल और फेफड़ों की ताकत

स्पेस में दिल और फेफड़ों को सही तरीके से काम करने के लिए मजबूत बनाए रखना जरूरी होता है। इसके लिए अंतरिक्ष यात्री रनिंग, साइकिलिंग और रोइंग जैसी कार्डियो एक्सरसाइज करते हैं। यह उनकी हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाता है और उन्हें स्पेस में सांस लेने और थकान से निपटने में मदद करता है।

वेट ट्रेनिंग से मसल्स को बनाए रखते हैं मजबूत

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी से मसल्स और हड्डियों में कमजोरी आ सकती है। इसलिए वेट ट्रेनिंग का हिस्सा बनाकर डेडलिफ्ट, स्क्वाट और डम्बल जैसी एक्सरसाइज की जाती हैं। इससे हड्डियों और मांसपेशियों की ताकत बनी रहती है और बोन लॉस व मसल्स लॉस को रोका जा सकता है।

कोर स्ट्रेंथनिंग से बेहतर कंट्रोल और बैलेंस

स्पेस में बैलेंस बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है। इसलिए कोर स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज जैसे प्लैंक, सिट-अप्स और मेडिसिन बॉल वर्कआउट से शरीर के मिड सेक्शन की ताकत बढ़ाई जाती है। इससे अंतरिक्ष यात्री बिना डगमगाए मूव कर सकते हैं।

फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेचिंग से फुर्ती और चोट से बचाव

स्पेस में काम करते समय शरीर का लचीलापन यानी फ्लेक्सिबिलिटी बहुत जरूरी होती है। इसके लिए योगा, पिलाटे और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज की जाती हैं, ताकि शरीर हर पोजिशन में आसानी से एडजस्ट हो सके और चोट लगने का खतरा कम हो।

बैलेंस और कोऑर्डिनेशन की खास ट्रेनिंग

शून्य गुरुत्वाकर्षण में शरीर का नियंत्रण आसान नहीं होता। इसके लिए बैलेंस बोर्ड, स्टेबिलिटी बॉल और जंपिंग जैसी एक्सरसाइज से बॉडी कंट्रोल को मजबूत किया जाता है। इससे स्पेस में तेज़ी से सामंजस्य बिठाना आसान हो जाता है।

HIIT से स्टैमिना और हार्ट हेल्थ में सुधार

हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) स्पेस मिशन से पहले कराई जाती है, जिसमें कम समय में तीव्र गति से एक्सरसाइज की जाती है। इससे हार्ट हेल्थ, मसल स्ट्रेंथ और स्टैमिना बेहतर होता है, जिससे अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक कठिन परिस्थितियों में काम कर सकें।

स्पेस जैसी स्थिति में की जाती है प्रैक्टिस

कुछ एक्सरसाइज जीरो ग्रैविटी जैसे माहौल में कराई जाती हैं, जैसे पानी के अंदर वर्कआउट, सस्पेंशन ट्रेनिंग और स्पेशल ग्रैविटी सिमुलेटर में प्रैक्टिस। इससे उन्हें स्पेस के असली हालातों में ढलने में मदद मिलती है।

इस तरह की शारीरिक तैयारी अंतरिक्ष यात्रियों को मानसिक और शारीरिक रूप से उस चुनौतीपूर्ण वातावरण के लिए तैयार करती है, जहां हर कदम पर सतर्कता और मजबूती की जरूरत होती है।

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