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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए ट्रम्प, कैसा रहेगा भारत-अमेरिका साझेदारी पर असर?, यहाँ पढ़ें न्यूज़मोबाइल के प्रधान संपादक सौरभ शुक्ला का विश्लेषण

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अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए ट्रम्प, कैसा रहेगा भारत-अमेरिका साझेदारी पर असर?, यहाँ पढ़ें न्यूज़मोबाइल के प्रधान संपादक सौरभ शुक्ला का विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है। ट्रंप ने अपने विक्ट्री स्पीच में इसे अमेरिका वासियों की जीत बताते हुए सीनेट पर नियंत्रण हासिल करने का दावा किया है। उनकी जीत के साथ भारत और अमेरिका की रिश्तों को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है। ऐसे में न्यूज़मोबाइल के प्रधान संपादक सौरभ शुक्ल ने मीडिया के सामने इसका विश्लेषण किया।

प्रधान संपादक सौरभ शुक्ला ने कहा कि कहा कि ‘डेमोक्रेसी खतरे में’ हैं यह जो नरेटिव हैं इसकी हार हुई है, और इस नरेटिव की हार सिर्फ अमेरिका में ही नहीं बल्कि भारत में भी हुई है, जब तीसरी बार नरेंद्र मोदी ने पीएम की कुर्सी संभाली थी, उन्होंने कहा कि ट्रम्प अमेरिका को प्रायोरिटी पर रखते ही हैं साथ ही साथ लीडर तो लीडर जो डिप्लोमेसी हैं उसको भी आगे रखते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के नेता नरेंद्र मोदी के साथ भी ट्रम्प के अच्छे संबंध हैं। इससे भारत को भी काफी फैयदा मिलेगा।

सौरभ ने कहा कि ट्रम्प पूर्व में भी कई बार कह चुके हैं कि उनके भारत के साथ अच्छे संबंध हैं और इस कारण विश्व के कई मुद्दों पर भारत-अमेरिका एक साथ कई मसलों को आसानी से सुलझा सकता है। उन्होंने कहा कि लीडर तो लीडर तो बातचीत होगी, उसमे भारत सफल होगा इसके साथ ही कई युद्ध जैसे यूक्रेन और रूस के बीच है। उसे भी ट्रम्प सुलझाने का प्रयास करेंगे। जिससे भारत को भी काफी लाभ मिलेगा।

सौरभ शुक्ला ने बताया कि ट्रम्प चीन पर भी लगातार दबाब बनाएगे, जिससे भारत के उद्यमों को भी काफी फ़ायदा होगा। इसके साथ ही सौरभ ने जानकारी दी कि अमेरिका में जो भारतीय हैं उन्होंने भी रिपब्लिकन को काफी समर्थन दिया है। उन्होंने कहा ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने ही स्किल्ड और अवैध इमिग्रेंट्स को अलग-अलग किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को ट्रम्प से यह उम्मीद हैं कि जब वह सत्ता में आएँगे तो वह स्किल्ड इमिग्रेट्स को ग्रीन कार्ड दिलाने में मदद करेंगे।

भारत-अमेरिका संबंध

अगर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो भारत के साथ साझेदारी निश्चित रूप से बढ़ेगी। हमने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी साझेदारी बहुत बढ़िया रही है।

मैंने कई मौकों पर ट्रंप का साक्षात्कार लिया और उनसे इस्लामिक कट्टरवाद पर खास सवाल पूछे, जिसका उन्होंने जवाब दिया और आतंकवाद के मामले में वे बहुत सख्त रहे हैं। इसलिए ट्रंप प्रशासन में यह एक बड़ा मुद्दा है।

अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं, तो हम (भारत) उनकी कई मुख्य चिंताओं को बता सकते हैं। चीन से शुरू करते हैं; वे इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि चीन किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरा है – वे इस बात पर बहुत दृढ़ हैं।

इस्लामिक आतंकवाद पर, वे इस बात पर बहुत दृढ़ हैं। नई सरकार बनने के बाद से पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, उससे भारत चिंतित है। इस क्षेत्र में बहुत सारे आतंकवादी हमले हुए हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।

किसी भी स्वस्थ रिश्ते में सहमति और असहमति होती है; मुझे यकीन है कि असहमति के मुद्दे होंगे – शायद टैरिफ पर। हमारे पास इस पर बातचीत करने के लिए बुद्धिमान लोग हैं। इसमें कुछ लेन-देन होगा और मुझे इसमें चिंता का कोई कारण नहीं दिखता।

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