ईरान पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि उनका देश ईरान के परमाणु खतरे को हमेशा के लिए खत्म करना चाहता है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमला किया, जिससे इस्राइल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की औपचारिक एंट्री हो गई है। यह कार्रवाई अमेरिकी सेना द्वारा ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत की गई, जिसमें ईरान के यूरेनियम संवर्धन से जुड़े प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेडी वेंस ने कहा कि अमेरिका का इरादा न तो ईरान में सैनिक भेजने का है और न ही वहां की सरकार को बदलने का। उन्होंने कहा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता और उसकी मंशा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दीर्घकालिक रणनीति के जरिए खत्म किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी बयान दिया कि इस अभियान के दौरान आम नागरिकों या सेना को जानबूझकर निशाना नहीं बनाया गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अगर ईरान ने जवाब दिया तो अमेरिका उससे कहीं ज्यादा सख्ती से जवाब देगा। अमेरिकी सेना प्रमुख जनरल डैन केन ने बताया कि यह पूरा अभियान रणनीतिक रूप से योजना बनाकर चलाया गया ताकि ईरान की परमाणु क्षमता को कमजोर किया जा सके।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने अमेरिकी हमलों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह हमला यह साबित करता है कि अमेरिका, इस्राइल की ईरान विरोधी सैन्य कार्रवाई का खुला समर्थन कर रहा है।
13 जून से इस्राइल और ईरान के बीच तनाव तेजी से बढ़ा है। इस्राइल ने तेहरान और इस्फहान के पास कई ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिनमें कई नागरिक और सैनिक मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने इस्राइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए और आगे भी जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इस टकराव में अब तक ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की हत्या भी हो चुकी है, जिन पर क्षेत्र के आतंकी संगठनों को हथियार देने का आरोप था। दोनों देशों के बीच लगातार हो रही हिंसक घटनाओं और विफल होती कूटनीति के चलते पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है।
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