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कौन कहता है चुनाव सिर्फ जीतने के लिए लड़ा जाता, मिलिए ऐसी कुछ हस्तियों से जिन्होंने चुनाव सिर्फ हरने के लिए लड़ा 

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कौन कहता है चुनाव सिर्फ जीतने के लिए लड़ा जाता, मिलिए ऐसी कुछ हस्तियों से जिन्होंने चुनाव सिर्फ हरने के लिए लड़ा 

लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। कुछ ही दिनों के भीतर देश में लोकसभा चुनावों के लिए मतदान शुरू हो जाएंगे। ऐसे में सभी दलों के उम्मीदवार चुनाव में जीतने के लिए अपनी-अपनी तैयारियों में जोरों से जुटे हुए हैं। चुनाव के दौरान सभी पार्टी के उम्मीदवार ये कयास लगाते हैं कि मतदान की गणना में उन्हीं का नाम सबसे अवल रहे यानी जीत उन्हीं की हो। लेकिन वहीं दूसरी कुछ ऐसे भी शख्स हैं जो चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए लड़ रहे हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ हस्तियों को जिन्होंने चुनाव सिर्फ हरने के लिए लड़ा 

तमिलनाडु निवासी ‘के पद्मराजन’

सबसे पहले जानिए तमिलनाडु के मेट्टूर के निवासी के पद्मराजन को जिन्होंने चुनाव हारकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई हुई है। तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले डॉ. पद्मराजन ‘इलेक्शन किंग’ के नाम से मशहूर हैं। इस बार वह निर्दलीय धर्मपुरी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। बता दें कि अभी तक 238 बार देश में चुनाव लड़ चुके हैं  जिनमें उन्होंने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनाव तक सारे चुनाव लड़े हैं और हर बार हार का ही सामना करना पड़ा है। पद्मराजन ने साल 1988 में पहली बार चुनाव लड़ा था।  

बरेली निवासी काका जोगिन्दर 

देश की राजनीति में थोड़ी पकड़ रखने वाले जनपद बरेली के निवासी काका जोगेंद्र सिंह जरूर वाकिफ होंगे। काका जोगिंदर सिंह 1962 से वह प्रत्येक चुनाव में दावेदारी ठोकते रहे। 350 से अधिक चुनाव लड़े, लेकिन किसी भी चुनाव में जीत हासिल नहीं की। काका जोगिन्दर सिंह धरती पकड़ के नाम से काफी मशहूर थे। साल 1993 में जनपद बिजनौर की सातों विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावे-दारी ठोकी थी और हार का सामना किया था। वह विधायक से लेकर उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति तक का चुनाव भी लड़े। बता दें कि 23 दिसंबर 1988 को उनका निधन हो गया।

बिहार के निवासी नागरमल बाजोरिया

नागरमल बाजोरिया बिहार के भागलपुर के रहने वाले हैं। नागरमल अब तक करीब 260 से अधिक बार लड़ चुके हैं जिनमें उन्होंने हारने का रिकॉर्ड कायम किया। इन चुनावों में उन्होंने बिहार और बिहार के बाहर नगर निकाय से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ा है। बताया जा रहा है कि वह अब 100 वर्ष के होने वाले हैं।  स्‍वास्थ्य कारणों से पिछले कुछ दिनों से वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। l