मेरठ में एक बेटी के संघर्ष की कहानी आज पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का सबब है। हमारे देश में महिलाओ और बच्चियों ने अपने लक्ष्य को हासिल करने ना जाने कितनी चीज़ों की कुर्बानी दी है। मगर मेरठ की इस लड़की ने तो अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आज से सात साल पहले अपने परिवारवालों से ही बगावत कर दी थी. आज सात साल बाद इस कामयाबी की उड़ान भरने के बाद मेरठ की संजू रानी वर्मा पीसीएस की परीक्षा पास कर अफसर बन गई है.
ये है मेहनत और लगन की पूरी दास्ता।
दरअसल संजू रानी वर्मा ने 2004 में ग्रेजुएशन किया. ग्रेजुएशन के बाद घरवाले उसकी शादी करना चाहते थे लेकिन वो आगे पढ़ना चाहती थी. फिर उन्होंने अपने करिअर को ज्यादा तरज़ीह दी और परिवारवालों से कहा कि वो अभी शादी नहीं करेगी. उधर, घरवालों की तरफ से शादी के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था. जिससे तंग आ कर उन्होंने अपना घर ही छोड़ दिया।
और मेहनत लाई रंग।
घर से बगावत करके अलग रहकर संजू रानी वर्मा ने सात साल पहले सिविल सर्विसेज़ की तैयारी शुरु की. आज सात साल बाद इनकी मेहनत रंग लाई और आखिरकार इन्होने पीसीएस परीक्षा पास कर ली।
घरवालों ने नहीं दी आगे पढ़ने की इजाजत
संजू का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहां बेटियों की शिक्षा पसंद नहीं की जाती थी. वो बताती है कि इसी सोच की वजह से उसकी बड़ी बहन की शादी इंटर पास करने के बाद ही कर दी गई थी. जैसे ही उन्होंने इंटर पास किया तो घरवाले उनपर भी शादी का दबाव बनाने लगे जिसका संजू ने जमकर विरोध किया और कई बार घरवालों के गुस्से का सामना किया।
मेरठ का कलेक्टर बनने की ख्वाहिश
उनकी ख्वाहिश है कि वो मेरठ में ही एक दिन कलेक्टर बनकर आए. वहीं संजू के गुरु अभिषेक शर्मा का कहना है कि इस बिटिया की सफलता समाज की उस सोच की हार है जहां बेटियों को बेटों से कमतर आंका जाता है. मेरठ की इस बेटी ने अफसर बिटिया बनकर उन लोगों के मुंह पर ताला लगा दिया है जो रुढ़िवादी सोच के शिकार हैं.