17 वीं लोकसभा की सभी शुरूआती कार्रवाई पूरी होने के बाद मोदी सरकार ने शुक्रवार को संसद में तीन तलाक पर रोक लगाने से जुड़ा विधेयक पेश किया. ऐसे में सबकी नज़र विपक्ष के रुख पर थी.
लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′ लोकसभा में पेश किया गया.
जैसे ही यह विधेयक कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद द्वारा पेश किया गया, विपक्ष की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में यदि पति को तीन साल की कारावास की सजा मिलती है तो पत्नी को उस दौरान जीवन यापन के लिए मुआवजा कौन देगा.
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मुस्लिम महिलाओं की परवाह नहीं करती है और महिला अधिकारों पर सरकार के रुख पर सवाल उठाते हुए उन्होंने सबरीमाला मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि “आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है तो केरल की महिलाओं से क्यों नहीं है. आप सबरीमाला के पक्ष में क्यों थे.”
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि वह तीन तालाक के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे आपराधिक अपराध बनाने का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि बिल का दायरा सभी समुदायों और धर्मों की महिलाओं तक बढ़ाया जाना चाहिए.
रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी सांसदों के विरोध के जवाब में कहा, मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी क्योंकि विधेयक न्याय और महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में है. “लोगों ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है. कानून बनाना हमारा काम है. यह कानून ट्रिपल तालक के पीड़ितों को न्याय देना के लिए है.
Union Law & Justice Minister & BJP leader @rsprasad after #TripleTalaqBill 2019 introduced in Lok Sabha: People have chosen us to make laws. It is our work to make laws. Law is to give justice to the victims of Triple Talaq. pic.twitter.com/RkTRBxdfZE
— NewsMobile (@NewsMobileIndia) June 21, 2019
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विपक्ष के तीखे विरोध के बाद तीन तलाक बिल को लोकसभा में पेश किए जाने को लेकर वोटिंग कराई गई. तीन तलाक बिल को पेश करने को लेकर हुई वोटिंग में विपक्ष की शिकस्त हुई. तीन तलाक बिल पेश किए जाने के समर्थन में 186 वोट पड़े जबकि विरोध में 74 मत. इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से विधेयक को पुन: पेश किए जाने को कहा.
बता दें कि 16 वीं लोकसभा में इस विधेयक को पास कर दिया गया था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था, जिसके कारण पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था.
सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था, लेकिन राज्यसभा में अटक जाने के कारण 17 वीं लोकसभा में इस पर नए सिरे से कार्रवाई शुरू की जाएगी.
‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′ के अंतर्गत तीन तलाक अवैध माना गया है, जिसके लिए पति को तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है.