समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि केंद्र सरकार ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे को लेकर एक नया हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि 14 दिसंबर, 2018 को दिए गए फैसले में 36 राफेल विमानों के सौदे को सही ठहराया गया था और इसके साथ ही कहा गया था कि निराधार मीडिया रिपोर्ट्स या आंशिक आंतरिक रिपोर्टों को को समीक्षा का आधार नहीं माना जा सकता.
13-पृष्ठ के अपने उत्तर में, सरकार ने यह भी कहा कि “पूरी प्रक्रिया की निगरानी करने वाले पीएमओ को समानांतर वार्ता के रूप में नहीं देखा जा सकता.”
Centre files fresh affidavits in Rafale review case in SC saying- the Dec 14, 2018 judgement upholding 36 Rafale jets’ deal was correct and unsubstantiated media reports and/or part internal file notings deliberately projected in a selective manner cannot form basis for review. pic.twitter.com/oMfFYdZltG
— ANI (@ANI) May 4, 2019
केंद्र ने अदालत को अपनी ताजा प्रतिक्रिया में कहा कि राफेल डील से संबंधित सभी फाइलें सीएजी को सौंपी गई थीं.
सरकार ने याचिकाकर्ताओं – पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, और सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर भी निराधार मीडिया रिपोर्ट्स पर भरोसा करने का आरोप लगाया.
साथ ही केंद्र ने यह भी दावा किया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत की गई ये मीडिया रिपोर्टें समीक्षा का आधार नहीं बन सकती हैं.
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10 अप्रैल को, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए राफेल सौदे पर शीर्ष अदालत के फैसले के लिए दायर समीक्षा याचिका के खिलाफ सरकार द्वारा की गई आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने अपने 14 दिसंबर के फैसले, जिसमें उसने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद की समीक्षा से इंकार कर दिया था, के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को फिर से जांचने के लिए तीन दस्तावेजों की स्वीकार्यता की भी अनुमति दी थी.