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पीएम मोदी ने आज ‘मन की बात’ के 89वें एपिसोड को संबोधित किया, जानिए आज की कुछ प्रमुख बातें

पीएम मोदी: फाइल फोटो
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पीएम मोदी ने आज ‘मन की बात’ के 89वें एपिसोड को संबोधित किया, जानिए आज की कुछ प्रमुख बातें

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी 29 मई को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 89वें एपिसोड को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने देशवासियों से मिले सुझावों का जिक्र किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने समाज से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने देश में तेजी से विकसित हो रही स्टार्टअप इंडस्ट्री, चारधाम यात्रा के दौरान गंदगी और योग दिवस पर मन की बात की।

‘मन की बात’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, देश में यूनिकॉर्न की संख्या 100 के पार पहुंच गई है. पिछले कुछ ही दिनों में 14 नए यूनिकॉर्न बने हैं। भारत का स्टार्टअप आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का गर्व है कि भारत में बहुत से ऐसे मेंटर्स हैं, जिन्होंने स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है।

 

 

पीएम मोदी ने कहा, ‘कुछ दिनों पहले मुझे एक ऐसी इंट्रेस्टिंग और अट्रैक्टिव चीज मिली, जिसमें देशवासियों की रचनात्मक और उनके कलात्मक प्रतिभा का रंग भरा हुआ है. यह एक उपहार है, जिसे, तमिलनाडु के थंजावुर के एक Self-Help Group ने मुझे भेजा है। इस उपहार में भारतीयता की सुगंध है और मातृ-शक्ति के आशीर्वाद – मुझ पर उनके स्नेह की भी झलक है। यह एक special Thanjavur Doll है, जिसे GI Tag भी मिला हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘ये Thanjavur Doll जितनी खूबसूरत होती है, उतनी ही खूबसूरती से, ये, महिला सशक्तिकरण की नई गाथा भी लिख रही है. Thanjavur में महिलाओं के Self-Help Groups के store और kiosk भी खुल रहे हैं. इसकी वजह से कितने ही गरीब परिवारों की जिंदगी बदल गई है. ऐसे kiosk और stores की सहायता से महिलाएँ अब अपने product, ग्राहकों को सीधे बेच पा रही हैं।

PM मोदी ने उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली कल्पना का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि कल्पना ने हाल ही में कर्नाटक में अपनी 10वीं की परीक्षा पास की है, लेकिन उनकी सफलता की खास बात ये है कि उन्हें कुछ समय पहले तक कन्नड़ा भाषा भी नहीं आती थी, उन्होंने 3 महीने में कन्नड़ा भाषा सीखी और 92 नंबर भी लेकर आई। कल्पना उत्तराखंड के जोशीमठ की रहने वाली है, वे पहले टीबी से पीड़ित रही और तीसरी कक्षा में उनकी आंखों की रोशनी भी चली गई। कल्पना बाद में मैसूर की रहने वाली प्रोफेसर तारामूर्ति के संपर्क में आई जिन्होंने उनकी मदद की।