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स्वामी विवेकानंद की 117 वीं पुण्यतिथि पर समस्त राष्ट्र ने दी श्रद्धांजलि

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गुरुवार (4 जुलाई) को पूरी दुनिया ने स्वामी विवेकानंद की 117 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. स्वामी विवेकानंद भारतीय महान आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे.

उन्हें भारत के प्रमुख संतों में से एक माना जाता है. विवेकानंद ने पश्चिमी दुनिया को भारतीय तत्वज्ञान और योग से परिचित कराया.

वेदांत के भारतीय तत्वज्ञान पश्चिमी दुनिया तक पहुंचाने में श्रेष्ठ योगदान देने वाले विवेकानंद को 19 वीं सदी के अंत में हिंदू धर्म को प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने और अंतरजिला जागरूकता बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की.

विवेकानंद ने भारतीय विरासत, संस्कृति और तत्वज्ञान को पेश करते हुए पश्चिम की यात्रा की. उनके कई व्याख्यानों में से शिकागो के विश्व धर्म संसद में दिए सबसे लोकप्रिय भाषण को दुनिया आज भी याद करती है.

विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1893 को शिकागो के आर्ट इंस्टीट्यूट में विश्व धर्म संसद में श्रोताओं को संबोधित किया था और “अमेरिका की बहनों और भाइयों!” कहकर अपना भाषण शुरू कर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया था. उनकी इस नायाब शुरुआत ने वहां मौजूद 7000 की भीड़ को लगभग दो मिनट तक खड़े रहकर ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया था.

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1902 में महासमाधि प्राप्त करते हुए विवेकानंद का 39 वर्ष की आयु में निधन हो गया. फिर भी, एक शताब्दी बाद, उनके संदेश प्रासंगिक बने हुए हैं. उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की और युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित किया.

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