नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए 1.12 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी (GST) डिमांड नोटिस पर रोक लगा दी है। यह फैसला ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो पिछले कुछ समय से भारी कर दायित्वों को लेकर संघर्ष कर रही थी।
क्या है मामला?
GST विभाग ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर टैक्स धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए 1.12 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी डिमांड नोटिस जारी किए थे। विभाग का दावा था कि कंपनियों ने जीएसटी नियमों का उल्लंघन करते हुए कर की बड़ी मात्रा में चोरी की है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन डिमांड नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक कंपनियों को कोई भुगतान नहीं करना होगा।
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का पक्ष
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने सभी कर नियमों का पालन किया है। उन्होंने तर्क दिया कि जीएसटी विभाग द्वारा लगाया गया कर दायित्व उनकी इंडस्ट्री को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है और यह सेक्टर में निवेश को प्रभावित करेगा।
इंडस्ट्री को क्यों मिली राहत?
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर तेजी से बढ़ती इंडस्ट्री में से एक है, जो सरकार के लिए बड़े राजस्व का स्रोत बन सकती है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इंडस्ट्री को स्थिरता और विश्वास प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
GST विवाद की पृष्ठभूमि
GST विभाग ने ऑनलाइन गेमिंग को ‘दांव और सट्टेबाजी’ की श्रेणी में डालकर 28% जीएसटी लगाने की बात कही थी। हालांकि, कंपनियों ने इसे मनोरंजन और कौशल आधारित गेमिंग बताया और कम कर दर की मांग की।
आगे का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत बताई है और सरकार व कंपनियों को उचित समाधान निकालने का निर्देश दिया है। अदालत का यह कदम ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा समर्थन माना जा रहा है।