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फैक्ट चेक: क्या चीन में ज़ोंबी वायरस फैल रहा है? नहीं, वीडियो सार्वजनिक परिवहन अभियान से जुड़ा है

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सोशल मीडिया पे एक मेट्रो स्टेशन का वीडियो वायरल हुआ जिसमे ज़ोंबी जैसे दिख रहे लोगो को देखा जा सकता है। जैसे ही ट्रेन स्टेशन के पास पहुंचती है, ज़ोंबी जैसे दिख रहे कुछ लोग एक यात्री को काटने का प्रयास करते दिखाई देते है। जैसे ही ट्रैन रूकती है, कुछ ज़ोम्बी डिब्बे में हमला करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस वीडियो को सच्ची घटना बता कर शेयर किया गया और दवा किया गया और दावा किया गया की चीन में एक सर्वनाशकारी वायरस लोगों को ज़ोंबी में बदल रहा है।

एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “ज़ोंबी वायरस उत्तरी चीन तक पहुंच गया है ।”

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल दावा गलत है। यह वीडियो इंडोनेशिया का है और एक अभियान से जुड़ा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले रिवर्स सर्च के साथ कुछ कीवर्ड की मदद से खोजा। इस दौरान हमे अगस्त 2022 की मैशबल स इ एशिया की एक मीडिया रिपोर्ट मिली जिसमे की वायरल वीडियो के स्टिल्स को देखा जा सकता है। मुताबिक, यह वीडियो इंडोनेशिया के जकार्ता में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के अभियान का हिस्सा था। इस अभियान को ‘ट्रेन टू एपोकैलिप्स’ कहा गया, जो 2016 की कोरियाई ज़ोंबी सर्वनाश फिल्म “ट्रेन टू बुसान” से प्रेरित हो कर बनाया गया था।

यह अभियान जकार्ता की लाइट रेल ट्रांजिट एजेंसी के साथ साझेदारी में पेंडोरा बॉक्स नामक एक इवेंट कंपनी द्वारा 5 अगस्त से 11 सितंबर, 2022 के बीच आयोजित किया गया था।

आगे पड़ताल में हमे साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के ऑफिसियल यूट्यूब हैंडल पे वायरल वीडियो से जुड़ी एक वीडियो रिपोर्ट मिली जिससे की 11 सितम्बर 2022 को शेयर किया गया था। इसके मुताबिक, अधिक लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, जकार्ता, इंडोनेशिया में ज़ोंबी-थीम वाली ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया। यह, दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में से एक में यातायात को आसान बनाने की उम्मीद में और दक्षिण कोरियाई फिल्म ट्रेन टू बुसान से प्रेरित था। इससे 11 सितंबर, 2022 तक चलाया गया था। इस वीडियो में प्रतिभागियों को अपने अनुभव साझा करते हुए सुना जा सकता है।

हमारी पड़ताल में हमने पाया की वीडियो चीन का नहीं बल्कि इंडोनेशिया का है। यह एक अभियान का हिस्सा था जिसका की मकसद सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना था।

 

 

 

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