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डोनाल्ड ट्रम्प ने की वैश्विक हथियार संधि से अमेरिका की वापसी की घोषणा

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को आधिकारिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका की एक वैश्विक हथियार संधि से वापसी की घोषणा कर दी है, जिसे शस्त्र व्यापार संधि के रूप में भी जाना जाता है.

यह संधि छोटे हथियारों, मिसाइल लॉन्चर और युद्धपोतों की बिक्री और हस्तांतरण के लिए नियम निर्धारित करता है.

द वाशिंगटन पोस्ट ने ट्रम्प, जब वो इंडियानापोलिस में नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) की वार्षिक बैठक को संबोधित कर रहे थे,के हवाले से कहा, “मेरे प्रशासन में, हम कभी अमेरिकी संप्रभुता किसी को आत्म समर्पित नहीं करेंगे। हम विदेशी नौकरशाहों को कभी भी आपके दूसरे संशोधन स्वतंत्रता को रौंदने की अनुमति नहीं देंगे। और यही कारण है कि मेरा प्रशासन संयुक्त राष्ट्र शस्त्र व्यापार संधि की पुष्टि कभी नहीं करेगा। ”

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, “मैं आज आधिकारिक रूप से घोषणा कर रहा हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस गलत संधि से अपनी रज़ामंदी खतम कर देगा।”

भीड़ के सामने बोलते हुए, ट्रम्प ने सीनेटरों से ओबामा-युग संधि को व्हाइट हाउस में वापस लाने का आग्रह करने वाले एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।

यह संधि, जो पूर्व जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन के दौरान अस्तित्व में आई थी और जिसे लेकर संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में बातचीत की गई थी, इस पर 2013 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन अमेरिकी सांसदों द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी.

संधि अवैध हथियारों के हस्तांतरण को रोकने का प्रयास करती है, जिससे तकरार की स्थिति उत्पन्न होती है. संधि के तहत हथियार की बिक्री का संचालन करना कठिन हो जाता है.

वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि यूरोप में अमेरिकी सहयोगियों सहित लगभग 100 देशों ने इस संधि की पुष्टि की है, जबकि 30 से अधिक अन्य देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन पुष्टि नहीं की है। जिन देशों ने इस संधि को पूरी तरह से खत्म कर दिया है, उनमें रूस, उत्तर कोरिया और सीरिया शामिल हैं.

जबकि नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) का तर्क है कि संधि अप्रभावी है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की गयी बातचीत के तहत बनाये गए घरेलू बंदूक स्वामित्व नियमों से अमेरिकियों के दूसरे संशोधन अधिकारों को खतरा है.

कार्यभार संभालने के बाद, ट्रम्प ने पेरिस जलवायु समझौते, ईरान के साथ परमाणु समझौते और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक और सांस्कृतिक निकाय यूनेस्को में संयुक्त राज्य अमेरिका की भागीदारी को निरस्त कर दिया था.

इस बीच, यूरोपीय देशों सहित संबद्ध देशों, जिन्होंने संधि को सफल बनाने के लिए ओबामा प्रशासन के साथ मिलकर काम किया था, ट्रम्प के इस निर्णय से अचंभे में है.

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