सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को काले धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम के प्रभाव के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने से रोकने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका को सुनने के लिए सहमति व्यक्त की.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई.
16 मई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने काले धन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले का सामना कर रहे व्यापारी गौतम खेतान को राहत दी थी. उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और आयकर विभाग को अधिनियम के प्रावधानों के तहत खेतान के खिलाफ मामले के इस मोड़ पर कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया था.
Supreme Court agrees to hear tomorrow a plea of Centre challenging Delhi High Court’s order that restrained Central government from taking action against lawyer Gautam Khaitan under provisions of Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) and Imposition of Tax Act, 2015. pic.twitter.com/RF7in31Y0j
— ANI (@ANI) May 20, 2019
केंद्र ने 16 मई के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि 1 अप्रैल 2016 को लागू हुआ काला धन अधिनियम पूर्वव्यापी तरीके से लागू नहीं किया जा सकता है.
अदालत ने कहा था, “हम इस राय पर कायम हैं कि याचिकाकर्ता (गौतम खेतान) ने अंतरिम राहत दिए जाने के वैध कारण सामने रखे हैं.”
इसके साथ ही कहा गया, “शुरूआती दृष्टि से हम खुद को आधिकारिक उत्तरदाताओं (केंद्र और आयकर विभाग) की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज़ों से असहमत पाते हैं.”
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3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाले के आरोपियों में से एक खेतान फिलहाल जमानत पर है. खैतान को एनफोर्समेंट निदेशालय ने 26 जनवरी को अधिनियम के तहत जांच के लिए गिरफ्तार किया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, खेतान ने अपतटीय खातों में लगभग 6,000 करोड़ रुपये जमा किए थे.
मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 के तहत प्रावधानों के उल्लंघन के लिए खेतान के खिलाफ चार्जशीट भी दायर की गई है.