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फैक्ट चेक: सोशल मीडिया पर हेमंत सोरेन को लेकर वायरल हो रही अखबार कटिंग पुरानी है

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फैक्ट चेक: सोशल मीडिया पर हेमंत सोरेन को लेकर वायरल हो रही अखबार की कटिंग पुरानी है

सोशल मीडिया पर झारखण्ड के सीएम हेमंत सोरेन को लेकर अख़बार में छपी एक खबर की कटिंग वायरल हो रही है। इस खबर की कटिंग को इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल किया जा रहा है। खबर के शीर्षक में लिख हुआ है कि,”वोट ही नहीं दिया तो मुझे बिजली से क्या मतलब ” इस खबर के माध्यम से दावा किया जा रहा है झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने प्रदेश में बिजली संकट को लेकर बयान दिया है कि ‘जब वोट उन्हें (हेमंत सोरेन) नहीं दिया तो उनसे बिजली की उम्मीद क्यों कर रहे हो’

इसी खबर की कटिंग को फेसबुक पर हिंदी भाषा के कैप्शन के साथ शेयर कर लिखा गया है कि ‘वोट ही नहीं दिया तो मुझे बिजली से क्या मतलब’ . 

 

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

 

फैक्ट चेक: 

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से पता चला कि यह खबर हालिया दिनों की नहीं बल्कि 5 वर्ष पुरानी है।

इन दिनों देश के कई राज्यों से बिजली की किल्लत की खबरें सामने आ रही है। ऐसे में बिजली को लेकर सोशल मीडिया पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री से संबंधित वायरल हो रही इस खबर की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले कुछ सम्बंधित कीवर्ड्स से खोजना शुरू किया।

खोज के दौरान हमें वायरल कटिंग वाली शीर्षक की खबर नहीं मिली, लेकिन उससे मेल खाता एक लेख प्रकाशित मिला जहां, “बिजली रहे या जाए, हमें कोई मतलब नहीं: हेमंत” शीर्षक छपी हुई थी। बता दें लेख यह दैनिक जागरण की वेबसाइट पर मई 21, 2017 को छापा था।

 

 

लेख के अनुसार, कुछ छात्रों के एक समूह ने बिजली समस्या का निदान करने के लिए हेमंत सोरेन का घेराव किया। छात्र नेता मोहम्मद सद्दाम ने कहा कि बरहेट में पिछले एक सप्ताह से बिजली नहीं है। इसी मुद्दे पर छात्र हेमंत सोरेन से वार्ता करने गये थे, लेकिन बतौर विधायक ने उन लोगों को जवाब दिया कि बरहेट के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। बिजली रहे या न रहे इससे उन्हें कोई मतलब नहीं।

उपरोक्त प्राप्त लेख से साफ़ हो गया था कि वायरल खबर हालिया दिनों की नहीं बल्कि साल 2017 के दौरान की है। पुष्टि के लिए हमने वायरल खबर की कटिंग को भी बारीकी से पढ़ा, जहां इस बात का जिक्र किया गया है कि हेमंत सोरेन ने बतौर विधायक यह बयान दिया था। इस दौरान वायरल खबर की कटिंग में कहीं भी हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बताया गया है।

 

 

बता दें हेमंत सोरेन ने झांखण्ड के मुख्यमंत्री के तौर पर साल 2019 में पदभार संभाला था।

 

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से पता चला वायरल कटिंग की खबर मौजूदा दिनों नहीं बल्कि साल 2017 के दौरान की है जब हेमंत सोरेन झारखण्ड के मुख़्यमंत्री नहीं थे।

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