National Sports day 2022: राष्ट्रीय खेल दिवस आज, जानिए भारत के पांच उभरते खेलों के नाम
हर साल 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। जिनकी प्रतिभा ने भारत को अंतरराष्ट्रीय हॉकी फील्ड में अन्य देशों पर हावी होने में मदद की थी। मेजर ध्यानचंद ने वर्ष 1928 और 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक की पहली हैट्रिक जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा स्पोर्ट्स डे को मनाने का एक और कारण ये है कि खिलाड़ी और युवा फिट और स्वस्थ होने के महत्व को समझें। खेल ही नहीं, बल्कि फिटनेस और स्वास्थ्य को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना है। भारत सरकार ने फुटबॉल, रनिंग, खो-खो, टेनिस, हॉकी, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, बास्केटबॉल और टेबल टेनिस के अलावा कई अन्य फन एक्टिविटीज स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थानों से आयोजित कराने का आहवान किया है।
देश में खेलों की दसा में सुधार करने के लिए भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। खेल इंडिया कार्यक्रम के लिए पिछले बजट में सरकार द्वारा 657 करोड़ 71 लाख रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन इस बार इसे बढ़कर 974 करोड़ रुपये कर दिया गया। खिलाड़ियों के कुल प्रोत्साहन और पुरस्कार राशि में भी इजाफा किया गया है, जो 245 करोड़ से 357 करोड़ रुपये हो गई है। राष्ट्रीय सेवा योजना में 118 करोड़ 50 लाख रुपये का भारी भरकम इजाफा किया गया है।
भारत में ऐसे कई खेल हैं जिनमें भारतीय खिलाड़ी दिन-प्रतिदिन बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज आपको ऐसे ही कुछ खेलों के बारे में बताएंगे जिनमें भारतीय खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और उन खलों में भारत का नाम बुलंद करने की प्रयास कर रहे हैं।
कबड्डी
कबड्डी भारत में खेले जाने वाले सबसे पुराने खेलों में से एक है। दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु से अपनी उत्पत्ति होने के बाद, कबड्डी देश में सबसे ज्यादा पसंद और अनुवर्ती खेलों में से एक बन गई है। कबड्डी का हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे अधिक अनुसरण किया जाता है। वर्ष 1930 से, आधुनिक कबड्डी भारत और कुछ अन्य दक्षिण एशियाई देशों में एक नियमित खेल बन गया था।
एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) के गठन के बाद, कबड्डी का पहला आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट वर्ष 1980 में हुआ। यह खेल के लिए भारतीय टीम का पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन था। वे आखिरकार टूर्नामेंट जीतने के लिए चले गए, जिसके साथ बांग्लादेश उपविजेता के रूप में समाप्त हो गया। इसके चलते वर्ष 1985 में कबड्डी को दक्षिण एशियाई खेलों में शामिल किया गया।
फुटबॉल
फुटबॉल ने भारत में अपनी यात्रा शुरू की जब ब्रिटिश शासक इसे अपने साथ लाए। भारत में आयोजित पहला रिकॉर्डेड गेम 1854 में ‘कलकत्ता क्लब ऑफ सिविलियंस’ और ‘द जेंटलमेन ऑफ बैरकपुर’ के बीच हुआ था। भारतीय फुटबॉल के इतिहास में पहला फुटबॉल क्लब कलकत्ता FC 1872 में स्थापित किया गया था। भारत के कुछ अन्य प्राचीन फुटबॉल क्लबों में मोहन बागान एथलेटिक क्लब, 1889 में स्थापित, डलहौजी क्लब, ट्रेडर्स क्लब और नौसेना क्लब भी शामिल हैं। मोहन बागान FC को बाद में ‘नेशनल क्लब ऑफ इंडिया’ के रूप में नामित किया गया था।
भारतीय फुटबॉल संघ (IFA) 1893 में स्थापित हुआ हालाँकि, 1930 के दशक तक इसके बोर्ड में एक भी भारतीय नहीं था। 1898 में, भारत में सबसे पुराना और दुनिया का तीसरा सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट में डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट शिमला में शुरू किया गया था। टूर्नामेंट का उद्घाटन भारत के तत्कालीन विदेश सचिव सर मोर्टिमर डूरंड द्वारा किया गया था और उनके नाम पर रखा गया था। फुटबॉल में भारतीयों के लिए पहली उल्लेखनीय उपलब्धि 1911 में आई, जब मोहन बागान एसी आईएफए-शील्ड ट्रॉफी जीतने वाली पहली भारतीय टीम बनी।
बैडमिंटन
बैडमिंटन के खेल ने देश को कई मौकों पर गौरवांन्वित भी किया है। इस काम में साइना नेहवाल, पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत और इनके जैसे ही कई स्टार खिलाड़ियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बता दें कि बैडमिंटन का पहला बैडमिंटन क्लब 1877 में बनाया गया था और दस साल बाद भारत में बनाए गए अनौपचारिक नियमों को फिर से लिखा। बाथ बैडमिंटन क्लब के नियमों ने आधुनिक बैडमिंटन के लिए रूपरेखा तैयार की।
अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ (IBF) की स्थापना 1934 में खेल के लिए विश्व शासी निकाय के रूप में की गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) कर दिया गया। भारत 1936 में इस ग्रुप में शामिल हुआ। प्रकाश पादुकोण शायद भारत में बैडमिंटन के इतिहास के पहले सुपरस्टार हैं। पादुकोण 1980 में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय हैं और पुरुषों की बैडमिंटन विश्व रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंचे थे।
रेसलिंग
कुश्ती की शुरुआत एक व्यायाम के रूप में हुई, जिसमें पुरुषों को फिट रखने के लिए कुश्ती शुरू हुई। यह शाही परिवारों के लिए मनोरंजन का एक जरिया था, लेकिन अब यह एक पेशेवर खेल के रूप में उभरा है, जो भारत को अंतरराष्ट्रीय शोहरत दिला रहा है। महाराष्ट्र के रहने वाले केडी जाधव ने 1948 में लंदन में ओलंपिक में डेब्यू किया था। मैट पर कुश्ती ने उन्हें काफी हैरान कर दिया। उन्होंने पहली बार मैट पर कुश्ती की थी। उन्होंने इससे पहले तक सिर्फ मिट्टी पर ही अभ्यास किया था।
चार साल बाद कड़ी ट्रेनिंग के बाद अपने ओलंपिक सफर के लिए पैसे इकट्ठे किए। इसके बाद केडी जाधव ने हेलसिंकी में बैंटमवेट वर्ग में ओलंपिक कांस्य जीतकर इतिहास रच दिया। आजादी के बाद यह भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक पदक था और अटलांटा 1996 खेलों तक यह रिकॉर्ड कायम रहा।
लॉन बॉल
कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) के लॉन बॉल्स (Lawn Bowls) में भारतीय महिला टीम ने इतिहास रच दिया. न्यूजीलैंड को 16-13 से मात देकर भारत ने इस टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार अपना पदक पक्का किया है।
साल 1930 यानी कॉमनवेल्थ खेलों की शुरुआत से ही लॉन बॉल कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा रहा है. इंग्लैंड इस गेम का चैंपियन रहा है. इंग्लैंड ने लॉन बॉल में अब तक कुल 51 मेडल जीते हैं. जिसमें 20 गोल्ड, 9 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज़ मेडल शामिल हैं. वहीं भारत को पहली बार ये ऐतिहासिक कामयाबी हाथ लगी है. लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सेकिया और रूपा रानी टिर्की ने लॉन बॉल के मैदान पर भी तिरंगा लहरा दिया है.
दो टीमों के बीच टॉस होता है और टॉस जीतने वाली टीम का खिलाड़ी जैक को रोल कर इसे दूसरे छोर के पास रोल करता है। यही जैक का टार्गेट प्वाइंट हो जाता है। इसके अलावा अलग-अलग कलर की गेंदें होती हैं जो खिलाड़ी रोल करते हुए फेंकते हैं ताकि वो जैक के ज्यादा से ज्यादा करीब पहुंच सकें। मुकाबला जीतने के लिए खिलाड़ी या टीम की कोशिश होती है कि उनकी एक या उससे अधिक गेंदें दूसरी टीम की गेंदों के मुकाबले जैक के पास जाएं। खेल में जिस टीम की जितनी गेंद दूसरी टीम की सबसे नजदीक गेंद के मुकाबले जैक के ज्यादा पास होती है उसे राउंड में उतने अंक मिलते हैं।