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फैक्ट चेक: पाकिस्तान में तोड़े गए मस्जिद की इमारत को सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ किया गया वायरल

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फैक्ट चेक: पाकिस्तान में तोड़े गए मस्जिद की इमारत को सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ किया गया वायरल

 

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लोगों को एक मज्सिद की इमारत को तोड़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को इंटरनेट पर शेयर कर दावा किया जा रह है कि पाकिस्तान में ऐसी भुखमरी हो गयी है कि लोग वहाँ ईंट पत्थर और लोहा बेच-बेच कर खाना खरीद रहे हैं।

फेसबुक पर वायरल वीडियो को शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि, ‘पाकिस्तान मे ऐसी भुखमरी सवार की अब वहाँ के लोग मस्जिद तोड़ ईटा, लोहा बेच पेट भर रहे विनाश काल विपरीत बुद्धि,, कराची मे एक महीने के अंदर तीसरी मस्जिद तोड़ी, आटा नहीं दे सकता तो उसका यहाँ क्या।

फेसबुक का लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक:

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वायरल वीडियो को कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च टूल के माध्यम से खोजन शुरू किया। खोज के दौरान सबसे पहले वायरल वीडियो से मेल खाती एक तस्वीर ANI की वेबसाइट पर छपे एक लेख में मिली।

लेख के मुताबिक कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने कराची में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ नफरत का एक और उदाहरण देते हुए शुक्रवार को उनके पूजा स्थल पर तोड़फोड़ की। प्राप्त लेख से पता चला कि पाकिस्तान में यह मामला अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ हुई घटना का है।

प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर बारीकी से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल वीडियो के मामले में अमर उजाला की वेबसाइट पर फरवरी 03, 2014 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, वायरल वीडियो में हो रही तोड़फोड़ पाकिस्तान के पाकिस्तान के कराची शहर के एक मस्जिद में हो रही है। जिसे  तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान के सदस्य तोड़ रहे हैं। लेख में आगे बताया गया है कि यह मामला धार्मिक कट्टरता का है। अहमदिया मुस्लिम, पाकिस्तान का एक अल्पसंख्यक समाज है। जिन्हें पाकिस्तान में दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है।

मामले की तह तक जाने के लिए हमने गूगल पर पाकिस्तान के अहमदिया मुस्लिम के बारे में खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें न्यूज़18 की वेबसाइट पर एक लेख मिला। लेख में बताया गया है कि अहमदिया समुदाय की शुरुआत 1889 में भारत के पंजाब के लुधियाना के गांव कादियान में अहमदी आंदोलन के साथ शुरुआत हुई थी. इसके संस्‍थापक मिर्जा गुलाम अहमद ने खुद को पैगंबर मोहम्‍मद का अनुयायी और अल्‍लाह की ओर से चुना गया मसीहा घोषित किया था।

लेख में बताया गया है कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों को इस्‍लाम का विरोधी मानते हैं। बताया गया है कि साल 1974 में अहमदिया मुसलमानों को पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यक घोषित किया गया था। इसके बाद इस समुदाय के लिए मस्जिद में जाने पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बाद सैन्‍य तानाााह जिया-उल-हक के शासनकाल में एक अध्‍यादेश पारित कर उन्‍हें अपने आप को मुस्लिम कहने से भी रोक दिया गया। इसलिए पाकिस्‍तान में अहमदिया समुदाय की मस्जिदों और लोगों पर हमले होते हैं।

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से पता चला कि वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। वीडियो में मस्जिद की इमारत को तोड़ते नजर आ रहे लोग तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान के सदस्य हैं। जो धार्मिक कट्टरता के चलते पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समाज अहमदिया मुस्लिम के जा स्थल पर तोड़फोड़ कर रहे हैं।