फैक्ट चेक: यूपी पुलिस द्वारा गोरखपुर में भांजी गयी लाठियों के वीडियो को कानपूर का बताकर किया गया वायरल
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के कानपूर जिले में दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हो गयी थी। जिसे काबू करने के लिए कानपूर की स्थानीय पुलिस ने लाठीचार्ज की थी। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में यूपी पुलिस लोगों पर ताबड़तोड़ लाठिया भांजती दिखाई दे रही है। इसी वीडियो को फेसबुक पर शेयर करते हुए तंज कस्ते दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्म दिन के अवसर पर कानपूर में यूपी पुलिस हिंसा करने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ लाठिया बरसा रही है।
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल के दौरान हमें मिले तथ्यों से पता चला कि वायरल वीडियो कानपूर का नहीं बल्कि गोरखपुर का है।
वायरल वीडियो देखने में हमें कुछ पुराना लगा जिसके बाद हमने वीडियो की सच्चाई जानने के लिए पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वीडियो को InVid टूल के मदद से कुछ कीफ्रेम्स में तोड़ा और फिर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें वायरल वीडियो क्लिप Journalist Cafe नामक ट्विटर यूज़र द्वारा दिसंबर 20, 2019 को किए गए ट्वीट में मिला। ट्वीट में वीडियो की जानकारी देते हुए बताया गया था कि यह वीडियो क्लिप गोरखपुर से है, जब CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था।
कोतवाली क्षेत्र के नखास खूनीपूर इलाके में बवाल#CAA के खिलाफ प्रदर्शन जारी
पुलिस पर कर रहे पथराव
पुलिस ने फेंके आंसू गैस, किया लाठीचार्ज pic.twitter.com/ODzjvsy1RC
— Journalist Cafe (@journalist_cafe) December 20, 2019
इसके बाद वायरल वीडियो की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर कुछ संबंधित कीवर्ड्स के साथ खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें वायरल वीडियो क्लिप का पूरा वीडियो Live Hindustan के यूट्यूब चैनल पर मिला, जिसे दिसंबर 20,2019 को अपलोड किया गया था।
प्राप्त यूट्यूब वीडियो में जानकारी दी गयी थी कि यह साल 2019 के दौरान गोरखपुर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ नखास चौक पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के इस्तेमाल के साथ-साथ हालात को नियंत्रण में लेने और उग्र भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था।
पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से पता चला कि वायरल वीडियो मौजूदा दिनों का नहीं बल्कि साल 2019 के दौरान का है इसके साथ ही यह वीडियो कानपूर से नहीं बल्कि गोरखपुर से है।